…और 25 साल बाद सपा – बसपा की हो रही है साझा रैली
फूलपुर–भाजपा को रोकने के लिए एक बार फिर से सपा और बसपा एक हो गए हैं। दोनों दलों ने वर्ष 1993 में भी गठबंधन किया था। यूपी में होने वाले लोकसभा उपचुनाव के चलते मंगलवार को फूलपुर में एक अनोखा नजारा देखने को मिला।
समाजवादी पार्टी ने बहुजन समाज पार्टी के साथ पहली पब्लिक रैली निकाली। करीब 25 साल बाद यह पहला ऐसा मौका था जब दोनों पार्टी के नेता एक साथ एक मंच पर दिखे। इससे पहले 1993 में इसी तरह राज्य में राम मंदिर आंदोलन के बाद बीजेपी के उदय को रोकने के लिए दोनों पार्टी एक साथ दिखी थींं।
एसपी के उम्मीदवार नागेंद्र प्रताप सिंह पटेल ने फूलपुर के ग्रामीण इलाके फफामऊ और सोराओं में एक प्रभावशाली जुलूस निकाला। यह यादवों और दलितों की एक जाति पासी बहुल इलाका है। इस दौरान उम्मीदवार के साथ समर्थकों की गाड़ियों में बीएसपी के हाथी और एसपी के साइकल वाले झंडे दिखाई दे रहे थे। करीब 1500 बीएसपी समर्थक एसपी कैंडिडेट के रोड शो में शामिल हुए और दो क्षेत्रीय पार्टियों की पुरानी दोस्ती को भुनाते हुए नारा लगा रहे थे- अखिलेश, मायावती मत घबराना, तेरे पीछे सारा जमाना, कांशीराम जिंदाबाद, मुलायम सिंह जिंदाबाद।
स्थानीय एसपी नेताओं के साथ-साथ वरिष्ठ कार्यकर्ताओं ने सार्वजनिक रूप से 2019 लोकसभा चुनाव से पहले लिए गए निर्णायक कदम के लिए बीएसपी सुप्रीमो मायावती को धन्यवाद कहा। कई जगह एसपी समर्थक दलितों के घर पर रुककर चाय पी और खाना भी खाया। एसपी नेता निधी यादव ने कहा, ‘बीजेपी ने हमारे बीच जाति की दीवार खड़ी की। हमने कभी एक यादव और एक दलित के बीच अंतर महसूस नहीं किया।’
बता दें कि फूलपुर और गोरखपुर लोकसभा सीट पर 11 मार्च को उपचुनाव होने हैं। दोनों सीटों पर बीएसपी ने एसपी उम्मीदवार को समर्थन दिया है। इस कड़ी में फूलपुर की लड़ाई अहम मानी जा रही है जहां बीजेपी और एसपी ने कुर्मी उम्मीदवार तो कांग्रेस ने ब्राह्मण को टिकट दिया है।