न मैं शिकारी…
एक युवा शायर: आमिर खान
यह युवा शायर मूलरूप से फैजाबाद के निवासी हैं और वर्तमान में लखनऊ के एक बैंक में कार्यरत हैं। इनकी लेखनी से निकलने वाले जज्बात शायरी के रूप में यहां मौजूद हैं।
1- चाहे दुश्मन जमाना बन जाए…
तेरे बगैर तो हर पल दुश्वार सा लगता है ,
तेरे साथ हो तो हर पल सुहाना बन जाये ,
न रुसवाईयों का खौफ न रिवाजों की फ़िकर,
चाहे तेरे इश्क में दुश्मन जमाना बन जाये।
2- जब बिखर जाते हैं मेरे हालात…
लिखता हूँ कलम से तो मचलते हैं मेरे जज्बात ,
दर्द इतना है कि बिखर जाते हैं मेरे हालात,
चुनता हूँ कोई लम्हा लरज़ जाते हैं मेरे हाथ,
दर्द इतना तेरी यादों का
कि थम से जाते हैं मेरे ख्वाहिशात।
3- न मैं शिकारी…
क्या भेज दूँ तुझे कि नजराना बन जाए,
मेरा दिल तेरे इश्क में दीवाना बन जाए,
न मैं शिकारी न तू शिकार ,
इश्क की राहों में दिल निशाना बन जाये।