फर्रुखाबाद पुलिस का मानवीय चेहरा, पैसों का इंतज़ाम कर बचाई दो जानें
फर्रुखाबाद–पुलिस की बर्बरता की कहानी तो आपने खूब सुनी होगी। लेकिन क्या कभी पुलिस का ऐसा मानवीय चेहरा आप ने देखा है। पुलिस अगर कोई भूल के चलते छोटी सी भी गलती कर दी तो लोग उन्हें कौसे बिना नहीं चूकते, लेकिन अगर वही पुलिस कुछ अच्छा कार्य करें तो तारीफ या उनका मनोबल बढ़ाने लोग आगे क्यों नहीं आते।
अमूमन पुलिस का मानवीय चेहरा नहीं देखने को मिलता है, फर्रुखाबाद पुलिस का मानवीय चेहरा देखने को मिला है। यह पुलिस के व्यवहार में हो रहे सुखद बदलाव का संकेत है। जिले में पड़ोसी जनपद कन्नौज के कस्बा गुरसहायगंज की रहने वाली गर्भवती महिला रूपा पत्नी दुर्गेश बाथम डिलीवरी कराने को लेकर पैसो के अभाव में अपने जिले से लेकर फर्रुखाबाद के अस्पतालों में दर दर भटकती रही थी।जब महिला का पति लोहिया अस्पताल लेकर गया तो वहां उसको बड़ा आपरेशन बता दिया गया साथ मे दो यूनिट खून की मांग की गई लेकिन वह खून नही ला सकता था। खून नही तो अस्पताल के कर्मचारियों ने यह कहकर भगा दिया कि जब ब्लड का इंतजाम नही कर सकते हो तो अपने घर जाओ। दोनो पति पत्नी सातनपुर मंडी के सामने अपनी दो साल की बच्ची के पटिया पर चादर विछाकर बैठे थे।
डायल 100 की पीआरवी 2650 की गाड़ी उनके पास रुकी गाड़ी से एसआई सुरेंद्र शुक्ला,नीरज राजपूत,चालक उपेंद्र कुमार उनके पास पहुंचे उनके बारे में पूछताछ करने लगे जब उनकी कहानी सुनी तो इन तीनो पुलिस कर्मचारियों ने स्थानीय लोगो को मौके पर बुलाया तो और उनसे मदद की बात कही तो मनोज राजपूत टीटू दीक्षित,ब्रजेश सक्सेना सहित अन्य कई लोग उस पीड़ित महिला की मदद करने को तैयार हो गए।पीआरपी की गाड़ी से उसको एक प्राइवेट शिव नर्सिंग होम में भर्ती कराया जहां पर डॉक्टर अलका जैन ने पुलिस को बताया कि यदि आपरेशन आधे घण्टे के अंदर नही किया गया तो माँ व बच्चे की जान जा सकती है।पीड़ित महिला के साथ आये लोगो ने अपना अपना ब्लड चेक कराया जिसमे मनोज राजपूत का ब्लड उस महिला के ब्लड से मैच कर गया।जब दबाई के खर्चे की बात आई तो पुलिस के तीनों कर्मचारियों ने मिलकर तीन हजार टीटू,ब्रजेश ने भी तीन हजार मिलाकर 6 हजार रुपये अस्पताल में जमा कर दिए।उसके बाद डॉक्टर अलका जैन व ऋषिकांत जैन ने उसका सफल आपरेशन कर दोनो की जान बचा ली है।
(रिपोर्ट- दिलीप कटियार , फर्रुखाबाद )