सेंट्रल जेल में सुरों का संगम !

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फर्रुखाबाद–सेंट्रल जेल में विभिन्न अपराधों में उम्र कैद की सजा काट रहे कैदियों एक पूरी टीम तैयार की है।इस टीम जो 6 लोग है वह कैदी कोई दहेज हत्या में तो कोई डकैती में लूट में अपने गुनाहों की सजा काट रहा है।जिनमे अनिल राजपूत कैसियो बजाते हैं गजेंद्र सिंह ढोलक बचाते हैं।

दिनेश मंजीरा, रमाकांत तिवारी गाना गाते भी व लिखते भी है।ध्रुव तिवारी भी अच्छे गाने गाते हैं।हाकिम सिंह भी गाना गाते हैं। सेंट्रल जेल की यह कैदी गायक कलाकार होने के साथ बजाते भी अच्छा है।अन्य जेलो में आयोजित कार्यक्रमो में अपने अपने द्वारा लिखे गए गीतों को प्रस्तुत करते है।यदि कोई डिमांड करता है तो वह गीत भी यह लोग लोगो को सुनाते हैं।कानपुर,बरेली, इलाहाबाद,लखनऊ,आगरा आदि जगहों की जेलो में अपनी प्रस्तुति दे चुके है।इन लोगो के कार्यक्रम को अधिकारियों ने काफी सराहा है।

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जेल में रहकर क्या क्या काम करते यह कैदी-जेल में कड़ी सुरक्षा होने के बाबजूद यह कैदी अपने घर की तरह रहते है।सिर्फ घर जैसी सुविधाएं नही मिल पाती फिर यह वर्तमान में जेल की चाहर दीवारों को ही अपना घर समझते है।जेल के अंदर जो काम दिया जाता उसको पूरा करने के बाद एक घण्टे रियाज करते है।जब कुछ समय और बचता है तो जेल में बंद अन्य कैदी जिनको संगीत में रुचि है।उनको भी सिखाते हैं।जेल के अंदर जब संगीत बजता है तो एक से एक खतरनाक अपराधी के मन को शांति मिलती है।उसी बजह से यह कार्यक्रम करते है।यह पूरी टीम का सहयोग जेल अधीक्षक बीपी त्रिपाठी ने बहुत किया।उनको बजाने के लिए बाधक यन्त्र खरीदकर कैदियों को दिए जिससे वह और अच्छा से अच्छा कार्यक्रम प्रस्तुत कर सके।

देश के सैकड़ो जिलो में अपराध करने के बाद कोर्ट द्वारा सजा मिलने के बाद सेंट्रल जेल में बाकी की जिन्दकी गुजारते है।लेकिन दहेज हत्या की सजा काट रहे अनिल राजपूत का कहना है कि संगीत प्रेम मेरे पूरे परिवार में है।जिस अपराध में उम्र कैद मिली वह न करने के बाद भी सजा काट रहा हूं।दूसरी तरफ हम लोग खुद लिखते है खुद ही गाते हैं।संगीत से मन को शांति मिलती है।यह करबा आगे लेकर जाऊंगा जिससे जिनकी मानसिकता गलत है उसमें सुधार हो सके संगीत प्रेम सिखाता है किसी की हत्या नही।देखना यह होगा कि गम्भीर अपराधों में सजा काट रहे इन कैदियों को जेल प्रसाशन देश की अन्य जेलो में संगीत की अलख जगाने को आगे कदम बढायेगा।जिससे कैदियों में कुछ बदलाव हो सके।

(रिपोर्ट- दिलीप कटियार, फर्रूखाबाद )

 

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