पॉक्सो एक्ट के तहत हुआ पहला फैसला, कोर्ट ने 23 दिन में सुनाई दुष्कर्मी को सजा
न्यूज डेस्क– मध्य प्रदेश के इंदौर कोर्ट ने नवीन नाम के एक शख्स को चार महीने की दुधमुंही बच्ची का अपहरण, ज्यादती और हत्या के मामाले में दोषी ठहराते हुए सज़ा-ए-मौत दी है। जज ने 7 दिन तक सात-सात घंटे सिर्फ इसी केस को सुना और 21 दिन में सुनवाई पूरी होने के बाद 23वें दिन फैसला सुना दिया।
शनिवार को आरोपी नवीन को पुलिस कड़ी सुरक्षा के बीच कोर्ट लेकर पहुंची। वहां पर नवीन को कोर्ट रूम नंबर 55 में पेश किया गया। सुरक्षा के लिहाज से कोर्ट रूम के भीतर मीडियाकर्मियों को जाने पर रोक लगा दी गई थी।
जानिए क्या है पूरा वाकया
19 अप्रैल 2018 की रात में आरोपी शराब लेकर बच्ची की नानी को पिलाने पहुंचा था। मना करने पर आरोपी बोतल फेंककर चला गया था। 20 अप्रैल की तड़के चार बजे वह माता-पिता के पास सोई बच्ची को उठाकर श्रीनाथ पैलेस बिल्डिंग के तलघर में ले गया और उसके साथ दुष्कर्म किया। बाद में उसे ऊपर से फेंक दिया, जिससे बच्ची की मौत हो गई थी।
रेप के कानून में बदलाव के बाद पहला फैसला
केंद्र सरकार की ओर से हाल ही में पॉस्को कानून में संशोधन कर 12 साल से कम आयु की बच्चियों के साथ बलात्कार करने वालों के खिलाफ मौत की सजा के कानून को मंजूरी दी है। नए कानून के तहत अब यदि बलात्कार के मामले में लड़की की आयु 12 साल से कम होगी तो बलात्कारी को मौत की सजा होगी।
पुराने कानून के अनुसार पॉक्सो कानून के तहत जघन्य अपराध के लिए अधिकतम सजा उम्रकैद थी। जबकि न्यूनतम सात साल की सजा का प्रावधान था। दिसंबर 2012 के निर्भया गैंगरेप मामले के बाद कानून में संशोधन किया गया था। ऐसे में रेप कानून में बदलाव के बाद यह पहला फैसला है।