सावधान! अगर इन गॉवों में प्रवेश करना चाहते है तो पढ़िए इन साइन बोर्डों को…..

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औरैया– सावधान! अगर आप जिले के इन गांव में प्रवेश करना चाहते है तो आप को भी भीम आर्मी जॉइन करनी होगी या फिर आपका दलित होना जरूरी है। यदि अगर आप इन मे से किसी से ताल्लुक नही रखते है तो आपके साथ कुछ भी घटना घट सकती है।

 क्योंकि इन गांवो में  दलित आंदोलन के बहाने युवाओं को हिंसा का पाठ पढाया जा रहा है।  भीम आर्मी और भीम सेना के सिम्बल पर गांव-गांव के संपर्क मार्ग पर एक जाति विशेष को दी ग्रेट के नाम पर एक जूट कर सामाजिक समरसता एवं सौहार्द के माहौल को खत्म करने की साज़िशें विकराल रूप लेती जा रही है।

जिसके पीछे कारण स्पष्ट है कि समाज को तोड़ने वाली शक्तियां अपने निहित राजनैतिक स्वार्थों के लिए इस जाति विशेष के युवाओं को अंधेरी गर्त में धकेल रहे है। कहना गलत नही होगा कि वेस्ट यूपी में एक साल पहले लगी सम्प्रदायिक्त की लगी आग सहारनपुर में तो अभी  ठंडी भी नही पड़ी है कि कासगंज के रास्ते औरैया होते हुए सेंट्रल यूपी में प्रवेश कर गयी है।

जहां जिले के दलित बाहुल्य अजीतमल इलाके में इसकी तैयारियां भी जोर सोर से दिखने लगी है। नेशनल हाईवे पर बसे गांव जगदीशपुर, कोठी,  नेवरपुर, टकपुरा, उम्मरपुर, मिस्रपुर और लक्ष्मण की मड़ैया सहित कई दलित बाहुल्य कई गाँवो में एक जाति विशेष को वकायदा शाइन बोर्डो पर महान लिखकर दूसरी जातियों को टकराव के लिए उकसाने की तैयारी हो चुकी है।

आलम यह है कि इन गांवों में अगर कोई दूसरी जाति का व्यक्ति जाता है तो उसे हीन भावना से देखा जाता है और बातचीत में कटु और आलोचनात्मक शब्दों का सामना करना पड़ता है। कभी कभी हालात तो हाथापाई तक उतर आते है, कारण साफ है कि इन गांवों के युवाओं में एक सोची समझी साजिश के तहत दलित चेतना के नाम पर हिंसा के अंकुर जो बोये गए है।

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गौरतलब है कि बीते 2 अप्रैल को भारत बंद के दौरान उपरोक्त जगदीशपुर गांव जो कि नेशनल हाईवे के किनारे बसा है जहाँ ऐसे ही एक साइन बोर्ड के पास एकत्रित हुए लोगों ने अचानक सरकार विरोधी नारे बाजी करते हुए हाईवे जाम कर सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाया था, मगर काफी देर से जागे प्रशासन ने चार उपद्रवियों को मौके से गिरफ्तार कर 13 नामजद सहित 50 अज्ञात के विरुद्ध मामला दर्ज किया था।

प्रशासन की चुप्पी खिला सकती है गुल

पूरे मामले को सरसरी नजर डाली जाए तो पुलिस की भूमिका सवालों के घेरे में खड़ी है। जहाँ पूर्व की घटनाओं से सबक न लेते हुये भारत बंद के बबाल में महज औपचारिकताओं के बाद मामले को ठंडे बस्ते में डाल देना उपद्रवियों के हौसले बढ़ाने का काम कर गया, परिणाम स्वरूप आरोपी युवकों की रिहाई के बाद रातों रात इन गांवों में बैठकों का दौर शुरू होना और युवाओं का लामबंद होना भविष्य में किसी बड़े बबाल की आशंका को पर लगाता है।

स्थिति यह हो चली है कि अब यह कथित आंदोलन बीहड़ पट्टी के अंदरूनी गाँवो में जातिय टकराव को बढ़ाने का काम तेजी से कर रहा है। वही इस मामले पर सदर विधायक रमेश दिवाकर ने युवाओं को ओछी राजनीति से दूर रहने के लिए कहा कि द ग्रेट लिखने से नही कोई महान होता है बल्कि व्यक्ति कर्मो से महान होता है।

इन बोर्डों को लगवाने में युवाओं का सहयोग लिया गया है। युवाओं को ऐसी राजनीतिक पार्टियों से दूर रहना चाहिए जो युवाओं के अंदर जात पात का जहर घोल रही है। युवाओं को शिक्षा की ओर ध्यान देना चाहिये जिससे सभी का विकास हो। और उन्होंने कहा कि जो गैर कानूनी तरीका अपनाएंगा उन्हें कानून के तहत  सजा मिलेगी।।

(रिपोर्ट- वरुण गुप्ता, औरैया)

 

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