नवरात्रि शुरू होने से पहले यहां जानिए, ‘घटस्थापना’ का शुभ मुहूर्तऔर पूजन विधि

हिन्दू धर्म के अनुसार नवरात्र का समय बहुत शुभ माना  जाता है। शास्त्रों के मुताबिक नवरात्र के नौ दिन मां दुर्गा के नौ स्वरूपों का दिन होता हैं। जिसमें भक्ति- भाव से पूजन करने से व्यक्ति को विशेष पुण्य प्राप्त होते हैं।         

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हिन्दू धर्म के अनुसार नवरात्र का समय बहुत शुभ माना  जाता है। शास्त्रों के मुताबिक नवरात्र के नौ दिन मां दुर्गा के नौ स्वरूपों का दिन होता हैं। जिसमें भक्ति- भाव से पूजन करने से व्यक्ति को विशेष पुण्य प्राप्त होते हैं।         

नवरात्र का मुहूर्त तिथि के अनुसार साल में दो बार होता है। पहला चैत्र नवरात्र और दूसरा शारदीय नवरात्रि। चैत्र नवरात्रि ग्रीष्म ऋतु के आरंभ में यानी अप्रैल के महीने में होता है। वहीं शारदीय नवरात्रि वर्षा ऋतु की विदाई यानी अक्टूबर माह में मनाया जाता है। इसीलिए नवरात्रि में नौ दिनों में मां के अलग-अलग रूपों की आरधना की जाती हैं। नवरात्रि में हम चेतना में व्याप्त गुणों की आराधना करते हैं।नवरात्र के ओनके5 तीन दिन सतोगुण, दूसरे तीन दिन रजोगुण और आखरी तीन दिन सतोगुणी प्रकति की पूजा की जाती हैं।

नवरात्रि में घटस्थापना का विशेष मुहूर्त:

नौ दिन के नवरात्रि में प्रथम दिन देवी पूजन करने और कलश स्थापना करते समय मुहूर्त का विशेष रूप से ध्यान दिया जाता है। शारदीय नवरात्रि 7 अक्टूबर 2021 आश्विन मास शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को शुरू होगा। घटस्थापना या कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 7 अक्टूबर दिन गुरुवार को सुबह 6 बजकर 17 मिनट से, सुबह 7 बजकर 7 मिनट तक रहेगा।

घटस्थापना का महत्व:

किसी भी धर्मिक अनुष्ठान या पूजा-पाठ में कलश रखना बहुत शुभ माना जाता हैं। घटस्थापना या कलश स्थापना का हिंदू धर्म में का विशेष महत्व होता हैं। कलश में समस्त सागर ,सप्तद्वीपों सहित पृथ्वी, चारों वेद,शांतिकारक तत्व, सभी दैविय शक्तियां निवास करती हैं। वेदों और पुराणों में कलश को सुख-समृद्धि,ऐश्वर्य और मंगल कामनाओं का प्रतीक माना गया हैं।

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घटस्थापना पूजन विधि:       

उत्तर- पूर्व दिशा में कलश या घटस्थापना के लिए गंगाजल से उस स्थान को शुद्ध करें। कलश स्थापना के लिए कलश के मुख पर मौली बांधे और उसमें जल भरकर,लौंग का जोड़ा, सुपारी,हल्दी की गांठ, दूर्वा,रुपए का सिक्का डालकर कलश में आम के पत्ते को लगाकर उसके ऊपर नारियल में चुनरी लपेटकर रख दें। अब एक लकड़ी की चौकी पर साफ लाल कपड़ा बिछाकर मां दुर्गा के मूर्ति की स्थापना करें। फिर कलश को देवी मां के दाई ओर स्थपित कर नवरात्रि के नौ दिन इस मंत्र का जाप करें।

* ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।

दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।

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