योगी सरकार का बड़ा फैसला 5 साल से पहले नहीं बदलेगी स्कूल ड्रेस
लखनऊ — उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने शिक्षा शुल्क में सुधार को लेकर मंगलवार को कई बड़े फैसले लिए। यूपी के उपमुख्यमंत्री दिनेश शर्मा और बीजेपी प्रवक्ता श्रीकांत शर्मा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर प्रदेश में स्कूलों के लिये शुल्क नियंत्रण की नयी व्यवस्था लागू करने का ऐलान किया।
इस दौरान उन्होंने बताया कि यूपी सरकार नया विधेयक लेकर आई है, जिसका नाम है उत्तर प्रदेश स्ववित्तपोषक शुल्क निर्धारण विधेयक। इसके तहत शुल्क लेने के नये बिंदु तय किए गए हैं, इससे स्कूल पारदर्शी तरीके से फीस ले सकेंगे और किसी प्रकार की गड़बड़ी की आशंका नहीं रहेगी। उन्होंने बताया कि अब से विवरण पुस्तिका शुल्क, प्रवेश शुल्क, परीक्षा शुल्क और सालाना शुल्क ही लिये जा सकेंगे। प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्होंने कहा कि शिक्षा शुल्क को लेकर किए गए कैबिनेट के ये फैसले और ये सारी व्यवस्था साल 2018-19 में लागू होगी। लेकिन फीस व्यवस्था का आधार 2015-16 को ही माना जाएगा।
उन्होंने कहा कि वैकल्पिक शुल्क के रूप मे बस शुल्क, भ्रमण शुल्क, शैक्षणिक शिविर शुल्क तभी लिये जा सकेंगे जब छात्र इन क्रिया कलापों मे शामिल होंगे। साथ ही उन्होंने बड़ी राहत देते हुए ऐलान किया कि अब सालाना फीस एक साथ लेने के बजाय छमाही या तिमाही के समय ही ली जा सकेंगी। इस फैसले के लागू होने के बाद स्कूल अभिभावकों को किसी एक दुकान से कॉपी-किताब या बैग खरीदने के लिए बाध्य नहीं कर सकेंगे। पांच साल से पहले स्कूल की ड्रेस नहीं बदली जा सकेगी। फिर भी अगर बेहद जरूरी है तो इसका फैसला मंडलायुक्त करेंगे।
हर साल फीस बढाने को लेकर जो स्कूलों की मनमानी की जा रही थी उस पर नियंत्रण होगा। अब फीस बढ़ाने के लिए स्कूल में टीचर्स के मासिक वेतन में बढोत्तरी के अनुपात के हिसाब से बढ़ाई जाएगी। साथ ही ये बढ़ोतरी किसी भी सूरत में 5-7 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होगी।उन्होंने कहा कि राज्य में मंडल स्तर पर शुल्क नियामक समिति बनेगी। अगर कोई भी स्कूल नियम नहीं मानता है तो पहली बार 1 लाख, दूसरी बार 5 लाख और तीसरी बार नियम नहीं मानने पर मान्यता रद्द कर दी जाएगी। 12वीं क्लास तक सिर्फ एक बार प्रवेश शुल्क लिया जाएगा।