वाह रे अस्पताल नही दे पाये घुस, तो मासूम को कर दिया रेफर, धरने पर बैठे परिजन
बहराइच – एक तरफ प्रदेश की सरकार सरकारी अस्पतालों में लोगों को सस्ता व बेहतर इलाज कराने के साथ अस्पतालों को भ्रष्टाचार से मुक्त करने की बात कहती है ।वही दूसरी और हकीकत बिल्कुल इसके उलट है । इसकी एक बानगी आज जिले के सरकारी अस्पताल में देखने को मिली।
जहां पर एक परिवार के तीन दिन के बेटे को डॉक्टर की और से सिर्फ इसलिए लखनऊ रेफर कर दिया गया कि परिवार डॉक्टर साहब की और से मांगे गये पैसों का इंतजाम नही कर पाया। अचानक रेफर कर देने से परेशान परिजन जिला अस्पताल में ही मासूम को गोद मे लेकर धरने पर बैठ गये। सूचना पर पहुंचे सिटी मजिस्ट्रेट व एसडीएम ने पीड़ित समझाकर धरना समाप्त कराकर उन्हें लखनऊ भेजवाते हुये मामले की जांच की बात कही है।
जिला अस्पताल परिसर में जमीन पर अपने तीन दिन के बेटे व मां के साथ बेटे का इलाज न होने पर धरने पर बैठे इस परिवार को देखकर आप खुद समझ सकते है । कि प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में आम आदमी को इलाज के लिये कितनी जद्दोजहद करनी पड़ती है ।इन अस्पतालों में भृस्टाचार व घूसखोरी की जड़े इतनी मजबूत है । की बिना नजराना दिये लोगों का इलाज होना दुश्वार होता जा रहा है ।
रिसिया के सिसई सलोन के रहने वाले धनीराम के परिवार में दो दिन पूर्व एक बेटे का जन्म हुआ लेकिन उसके शरीर से मल त्यागने का रास्ता नही था । जिसके बाद धनीराम अपने बेटे का इलाज कराने के लिए जिला अस्पताल लेकर आये जहां पर सर्जन मलिक ने बाहर की जांच व एक्सरे कराकर बेटे का शनिवार आपरेशन करने को कहा । धनीराम ने बताया कि ऑपरेशन के लिए डॉक्टर के सहयोगी ने उनसे पांच हजार की मांग की जिसपर उन्होंने किसी तरह चार हजार का इंतजाम कर आपरेशन थियेटर में जब बच्चे को लेकर गये तो दे दिया लेकिन पैसा पूरा न होने पर डॉक्टर ने बाद में ऑपरेशन की बात कही । लेकिन आज अचानक दोपहर उन्होंने हमारे बेटे को डिस्चार्ज कर लखनऊ रेफर कर दिया तो हमे मजबूरन परिवार के साथ जिला अस्पताल में धरने पर बैठना पड़ा ।
वही जब एक परिवार की और से जिला अस्पताल में धरने देने की बात आलाधिकारियों को पता चली तो मौके पर पहुंचे सिटी मजिस्ट्रेट व एस डी एम सदर ने परिजनों को समझाकर धरना खत्म कराते हुये उन्हें इलाज के लिए लखनऊ भिजवाते हुये मामले की जांच की बात कही है ।
(रिपोेर्ट-अमरेंद्र पाठक,बहराइच)