गन्ना बेचने के लिए दर-दर भटकने को मजबूर किसान, नहीं मिल रही पर्ची

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न्यूज डेस्क — उत्तर प्रदेश के अंबेडकरनगर जिले में अभी तक गन्ने की लगभग 60 प्रतिशत ही आपूर्ति हो पाई है।40 प्रतिशत गन्ने की फसल अभी खेतों में खड़ी सूख रही है। यह हालत तब है, जब मौजूदा पेराई सत्र समाप्त होने की कगार पर है।

किस्मत के मारे किसान अपने गन्ने की फसल बेचने के लिए अधिकारियों और मिल के चक्कर काटने को मजबूर हैं। लेकिन जिम्मेदार अधिकारी किसानों को सिर्फ आश्वासन की घुट्टी पिला रहे हैं।

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गौरतलब है कि केंद्र और प्रदेश सरकार किसानों की आय दोगुनी करने की बात भले ही कह रही है, लेकिन मौजूदा हालात से ऐसा लग नहीं रहा है। पहले आलू किसान और अब यूपी के गन्ना किसानों की हालत खराब हो गई है। 

अगर जिले में सरकारी आंकड़ों की बात करें तो इस बार 20,446 हेक्टेयर जमीन पर गन्ने की फसल लगाई गई है, जिसमें 11,649 हेक्टेयर भूमि पर किसानों ने गन्ने का पौधा रोपा था और 8797 हेक्टेयर पर पेड़ी लगाई थी। लेकिन मौजूदा समय में जिले की इकलौती अकबरपुर चीनी मिल ने 12 मार्च तक किसानों के सिर्फ 47 लाख 87 हजार कुन्तल गन्ने की खरीद की है। 

किसानों का शेष गन्ना अभी खेतों में खड़ा है या जिन किसानों ने अगली फसल के इरादे से गन्ने की फसल कटवा दी है, उनका गन्नी पर्ची न मिल पाने से खेतो में सूख रहा है। जिसको लेकर किसान काफी परेशान है। किसानों का कहना है कि मिल उन्हें पर्ची नहीं दे रही है, जिस कारण हम काफी परेशान हैं। सहालग का समय और गेहूं आदि फसलों की बुआई का मौसम आ रहा है, लेकिन हमारी कोई सुनने वाला नहीं है। हम क्या करें।

गन्ना पर्ची न मिलने से नाराज किसानों का धैर्य अब जवाब देने लगा है। जिसका नतीजा है कि मौजूदा बीजेपी विधायक को भी किसानों ने खरी-खोटी सुनानी शुरू कर दी है। गन्ना किसानों ने मिल प्रशासन पर किसानों के बजाय दलालों का गन्ना खरीदने का आरोप भी लगाया है। किसानों और मिल अधिकारियों के बीच हुई इस बैठक में किसानों ने मिल कर्मचारियों द्वारा पर्ची निकासी और पर्ची अलॉटमेंट में की गई हेराफेरी के कई उदाहरण पेश किए।

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