टमाटर की खेती में आई क्रांति, किसान हुए मालामाल !

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हरदोई– भारत में लगभग 60 प्रतिशत आबादी गांव में निवास करती है। और लगभग सभी किसान के रोजगार का साधन खेती है। जिसमें गेहूं और धान की खेती ज्यादा होती है। देश प्रदेश के किसान चक्रीय खेती से कोसों दूर है मगर इस मिथक को तोड़ा है जिले के सांडी ब्लॉक के सैतियापुर गांव के एक किसान ने टमाटर की खेती कर अपना जीवन स्तर सुधारा है।

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और आस पास के किसानों को भी जागरूक कर नई आस भी जगाई है इस किसान को देखकर आसपास के भी किसान चक्रीय खेती की तरफ अग्रसर हुए है।धान गेहूं की खेती के आलावा टमाटर की हिमसोना प्रजाति को लगाकर राधा विनोद ने अपने और अपने परिवार का रहन सहन बदला ही अपितु गांव के लोगों के लिए मिशाल भी बन गए है।

अब इनको देखकर गांव के अलावा आसपास के किसान भी टमाटर के आलावा चक्रीय खेती कर रहे है और लगातार उद्यान विभाग से खेती किसानी में वैज्ञानिक विधियों की जानकारी लेकर उन्नतिशील किस्मों को रोपकर फायदा भी उठा रहे है और साथ ही उद्यान विभाग के अधिकारी और कर्मचारी लगातार इनके खेतों में जाकर किसानों को खेती के वैज्ञानिक गुण भी बता रहे है। 

टमाटर एक ऐसी फसल है जिसे पूरे वर्ष उगाया जा सकता है इसकी नर्सरी दिसंबर व् जनवरी में तैयार की जाती हैं और इसकी रोपाई फरवरी मार्च के प्रथम सप्ताह में की जाती है यह क्रिया पानी वाले यानी तराई क्षेत्रों के लिए है इसके बीज 500 ग्राम प्रति हेक्टेयर इस्तेमाल होते है और बीजो के शोधन के बाद बुवाई की जाती है पेड़ से पेड़ की दूरी लगभग 60 सेंटीमीटर पर होती है।

टमाटर के खेत की निराई गुड़ाई 25 दिन में एक बार होती है कीटों के नियंत्रण के लिए किसान लगातार कृषि वैज्ञानिक और उद्यान विभाग से सलाह लेते रहे अच्छी फसल से किसान खुशहाल हो सकते है।

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