गजबः एक ही पौधे में उगा दिया आलू संग टमाटर और टमाटर के साथ बैंगन

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एक जहां किसान आनदोल करने में जुटे हुए हैं, जबकि शोधकर्ता कम लागत में किसानो के लिए अच्छ फसल तैयार करने में जुटे हुई है. दरअसल भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान ने शोध के बाद ऐसे पौधे उगाए हैं,

जिसमे दो अलग-अलग पौधे लग रहे हैं. जिसमें एक साथ टमाटर और बैगन दिखाई दे रहे है. आप को भी यकीन नहीं हो रहा होगा, लेकिन सच है.

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भारतीय सब्जी अनुसंधान ने किया शोध

आपको बता दें कि ये बगिया वाराणसी के शहंशाहपुर स्थित भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान की है. तस्वीरों में आप देख रहे होंगे कि बैगन और टमाटर एक ही पौधे में उगे हैं. वो भी ज्यादा मात्रा में.

यही नहीं एक ही पौधे में दो सब्जी लगी हैं जबकि जमीन के अंदर जड़ में आलू और ऊपर तने पर टमाटर भी है. जिसको नाम दिया गया है पोमैंटो. यानी पोटैटो के साथ टोमैटो. दरअसल ये कमाल शोध के बाद ग्राफ्टिंग तकनीक से हुआ है.

एक पेड़ से 3 किलो बैंगन और दो किलो टमाटर 

संस्थान के डायरेक्टर डॉ जगदीश सिंह की देखरेख में प्रधान वैज्ञानिक डॉ अनंत बहादुर सिंह और उनकी टीम ने ये विज्ञान की मदद से ये करिश्मा करके दिखाया है. एक पेड़ से करीब 3 किलो से ज्यादा बैंगन और दो किलो टमाटर लगते हैं.

इस विशेष पौधे में बैंगन के रोग अवरोधी पौधे पर उसकी संकर किस्म काशी संदेश और टमाटर की काशी अमन की कलम बांधकर यानी ग्राफ्टिंग की गई.

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अब बैगन के साथ मिर्च उगाने पर शोध

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संस्थान ने पहले आलू के साथ टमाटर और अब बैगन के साथ टमाटर का सफल प्रक्षेत्र प्रदर्शन किया है. अब अगली कड़ी में एक ही पौधे में आलू, टमाटर और बैगन या फिर टमाटर, बैगन के साथ मिर्च उगाने पर शोध चल रहा है.

बता दें कि ग्राफ्टिंग के 15-20 दिन बाद इसे प्रक्षेत्र में बोया जाता है. ठीक मात्रा में उर्वरक, पानी और कांट छांट के बाद ये पौधे रोपाई के 60-70 दिन बाद फल देते हैँ.

भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान

इनको होगा फायदा…

फिलहाल शुरुआती तौर पर इस पौधे को शहर में रहने वाले उन लोगों के लिए तैयार किया गया है. जिनके पास जगह कम है और वो बाजार की रसायन वाली सब्जियों से बचना चाहते हैं और घर में ही सब्जी उगाकर खाना चाहते हैं. या फिर टेरिस गार्डन के शौकीन लोगों के लिए.

संस्थान के डायरेक्टर डॉ जगदीश सिंह ने बताया कि ग्राफ्टिंग तकनीक का प्रयोग 2013-14 में शुरू हुआ. इसका सबसे बड़ा फायदा किसानों को होगा. खासकर उन इलाकों के किसानों को, जहां बरसात के बाद काफी दिनों तक पानी भरा रहता है.

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