स्वास्थ्य विभाग के भवनों पर दबंगो का कब्जा !
फर्रुखाबाद- जिले में सात विकास खण्ड है और सभी विकास खण्डों में सरकारी प्राथमिक चिकित्सालय से लेकर उप स्वास्थ्य केंद्र बनाए गए थे। जिनमें डॉक्टर या एनम की तैनाती की गई थी लेकिन वर्तमान में उन उप स्वास्थ्य केंद्रों पर कर्मचारियो के न जाने से गांव के दबंग लोगों ने उनको तबेला बना दिया है या उसमे अपने अपने खेतों का भूसा भर दिया है। ऐसी ही बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं के चलते लोगों को प्राइवेट हॉस्पिटल में इलाज के लिए जाना पड़ता है।
जिले में गांव स्तर पर राज्य सरकारों द्वारा स्वास्थ्य सेवाओं को सुधारने के लिए भवनों का निर्माण कराया था। लेकिन इस सभी भवनों का उद्घाटन हुआ तो कुछ दिनों तक कुछ सरकारी भवनों पर कर्मचारियो ने अपनी ड्यूटी भी की उसके बाद जाना ही बन्द कर दिया, जिससे नाराज ग्रामीणों ने उन अस्पतालों पर अपना कब्जा करना शुरू कर दिया। विकास खण्ड नबाबगंज की ग्राम सभा गिलौदा मे आज से लगभग सात साल पहले बने अस्पताल को लोगों ने तबेला बना दिया है उसके खिड़की दरनवाजे सभी निकाल लिए है। वही शमशाबाद विकास खण्ड के गांव कुआं खेड़ा में बने अस्पताल से गांव वालों ने खिड़की दरबाजे पाइप लाइन ईट तक निकालना शुरू कर दिया है। उसके बाद राजेपुर विकास खण्ड के गांव जिठौली में हाल में बने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में डॉक्टर तो रोजाना बैठते है लेकिन रात में कोई भी स्टाफ न रहने के कारण उसके भी खिड़की दरबाजे उखाड़ लिए गए है। जो अस्पताल तराई क्षेत्र में बनाये गए थे वह सभी किसी न किसी गांव वाले के कब्जे में है बहुत से सरकारी अस्पतालों में लोगों ने उपले भर दिए है। जब इस मामले में ग्रामीणो से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि जब कोई डॉक्टर ही नही आता है तो इस अस्पताल का हम क्या करें, इसीलिए उसका प्रयोग हम लोगों ने अपने निजी कामो के लिए शुरु कर दिया है।
वही सी.एम.ओ यू.के पांडेय का कहना है कि जिले में अस्पताल तो बहुत बने हुए है लेकिन स्टाफ कम है। परमानेंट एनम के साथ संविदा वाली एनमो की भी ड्यूटी लगाई जा रही है जिससे एक सप्ताह में तीन दिन अस्पताल में बैठ सके। दूसरी तरफ जिन अस्पतालों पर लोगों ने कब्जा कर लिया है उनको खाली कराने के साथ ही उसकी मरम्मत कर पानी व बिजली की सुविधा से लैस किये जाने की योजना बनाई गई है। यह कार्य जल्द पूर्ण करा दिया जायेगा।