महाशिवरात्रि विशेषः यहां हर वर्ष चावल के दाने के बराबर बढ़ता है शिवलिंग !
औरैया — लाखों लोगों की श्रद्धा के केन्द्र देवकली मंदिर में शिवलिंग स्थापित है। मान्यता है कि यह शिवलिंग प्रतिवर्ष चावल के दाने के बराबर बढ़ता है। यमुना नदी के किनारे बने इस प्रसिद्ध मंदिर के बारे में लोगों की अपनी अलग-अलग मान्यताएं हैं।
विशेषताओं से भरा मंदिर का निर्माण अपनी अलग पहचान बनाए हुए है। मुगल काल में मंदिर को नष्ट करने का भी प्रयास किया गया, लेकिन मुगल भी मंदिर में मामूली नुकसान के अलावा कुछ नहीं कर सके।
दरअसल हम बात कर रहें है उत्तर प्रदेश के औरैया जिले में स्थित देवकली मंदिर में स्थापित शिवलिंग की। मध्य कालीन इतिहास के जानकरों के अनुसार 12वीं शताब्दी में कन्नौज के राजा जयचन्द्र की बहन देवकला का विवाह यमुना पार की जगम्मनपुर स्टेट के राजा विशोख देव के साथ हुआ था। रानी देवकला जब कन्नौज से अपनी ससुराल जगम्मनपुर जाती थीं। तब यमुना के पास उनका पड़ाव होता था। यहीं उनकी पूजा अर्चना के लिए राजा विशोख देव ने एक मन्दिर की स्थापना की थी। बाद में इस मन्दिर को देवकली मन्दिर के नाम से जाना जाने लगा। कलांन्तर में मुस्लिम शासक आये व किसी शासक ने इस मंदिर को तोड़ दिया। गत 18वीं शताब्दी में यह स्थान मराठा के अधीन हो गया। एक मराठा सरदार ने जब यहां मन्दिर के भग्नावशेष देखे तो उसने यहां वर्तमान दुर्ग का निर्माण कराया। दुर्ग के आंगन में स्थापित शिवलिंग के आसपास मंदिर बनाया।
नहीं चला पता कहां जाता है चढ़ाया जाने वाला जल
भगवान शिव पर चढ़ने वाला जल कहां जाता है यह आज भी रहस्य बना हुआ है। सावन के अंतिम सोमवार व शिवरात्रि के पर्व पर शिवलिंग का जलाभिषेक किया जाता है। यह सारा जल कहां जाता है इसे कोई नहीं जान सका। बताते हैं कि अंग्रेजों के शासन काल में अंग्रेजी अफसरों ने सैकड़ों ड्रम पानी नील घोलकर भगवान शिव पर इसलिए चढ़ाया की पता कर सके कि चढ़ाया गया जल आखिर कहा जाता है। इसके साथ ही देवकली मंदिर को लेकर तमाम रहस्य आज भी अनसुलझे हैं।
क्रांति का भी गवाह है मंदिर
27 नवम्बर 1857 को दिलीपनगर के राजा जसवंत सिंह, लखना के तहसीलदार ईश्वरी प्रसाद व औरैया के तहसीलदार राम बख्श अंग्रेजों के विशाल सैन्य दल के साथ शहर के यमुना तट पर स्थित शेरगढ़ घाट पर आ डटे। कुंअर रूप सिंह, राम प्रसाद पाठक, राजा निरंजन सिंह जूदेव के नेतृत्व में शेरगढ़ घाट पर करीब सात सौ से अधिक क्रांतिकारी पहुंच गए थे। भगवान शिव का आशीर्वाद लेने के बाद क्रांतिकारियों ने अंग्रेजों से सैन्य दल पर हमला कर उन्हें हार के कगार पर पहुंचा दिया। लगभग तीन दिन तक हुए इस युद्ध में क्रांतिकारी दल अंग्रेजी सेना पर पूरी तरह हावी हो गया, लेकिन पीछे से अतिरिक्त ब्रिटिश सेना के पहुंच जाने से क्रांतिकारी दल बीच में फंस गया। वीरता से लड़ते हुए राम प्रसाद पाठक सहित 18 क्रांतिकारी इस युद्ध में शहीद हो गए। इस दौरान क्रांतिकारियों ने देवकली मंदिर को ही अपना पड़ाव बनाया था।
बन सकता है पर्यटल स्थल
मंदिर के पुजारी स्वामी बच्ची लाल बताते हैं कि मंदिर की भव्यता और आसपास के क्षेत्र को देखते हुए इसे पर्यटन स्थल बनाया जा सकता है। देवकली मंदिर के आसपास बीहड़ और पास में ही मां मंगलाकाली मंदिर के साथ ही यमुना का तट भी है। इसके चलते ही मुलायम सिंह की सपा सरकार में यहां पर्यटल स्थल बनाने की योजना थी। उस समय मंदिर का जीर्णोद्वार भी कराया गया था। इसके अलावा यहां पर्यटक आवास का निर्माण कराया भी गया था। लेकिन अनदेखी के चलते वह पूरी तरह ध्वस्त होता जा रहा है। प्रशासन यदि ध्यान दे तो यहां देश विदेश के शिवभक्तों को आकर्षित करने का इंतजाम किया जा सकता है।
(रिपोर्ट-वरुण गुप्ता,औरैया)