रिटायर्ड होते ही IAS ने छेड़ी जंग ! कहां ‘रिटायर्ड होना मेरे लिए गुलामी से मुक्ति है…
दबे कुचले लोगों की दर्दभरी कहानियां कैमरे में करना चाहते हैं....
1993 बैच के IAS अफसर बीती 31 जुलाई 2020 को रिटायर हो गए. रिटायर होते ही अब जंग छेड़ दी है. IAS अफसर ने रिटायर होने के दिन अपने कार्यकाल के दौरान हुए भेदभाव को लेकर कई सारे आरोप लगाए हैं. उनका कहना है कि ‘रिटायर होना मेरे लिए गुलामी से मुक्ति है, मैंने स्वाभिमानी अंबेडकरवादी होने की कीमत चुकाई है.
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1993 बैच के IAS अफसर रमेश थेटे..
बता दें कि 1993 बैच के IAS अफसर रमेश थेटे ने कहा कि वो भीमा कोरेगांव विषय पर बन रही फिल्म पर काम कर रहे हैं. फिल्म की आधे से ज्यादा शूटिंग हो चुकी है. अब वो अक्टूबर से फिर से फिल्म की शूटिंग पर काम शुरू करेंगे. दरअसल अब रिटायर हो चुके IAS थेटे का आरोप है कि उनका प्रमोशन जातिवाद की वजह से रुका है. रमेश थेटे आरोप लगाते हैं कि-
IAS अरोप मुझे न्याय से वंचित किया गया…
डायरेक्ट IAS होने के बावजूद भी मुझे कलेक्टर नहीं बनने दिया गया. प्रमुख सचिव के पद पर प्रमोशन के लिए उपयुक्त पाये जाने के बावजूद फैसले बंद लिफाफे में रखकर मुझे न्याय से वंचित किया गया. लेकिन अब मैं गुलामी से मुक्त हो गया हूं. बाबा साहेब का संविधान मेरे हाथ में है. मैं आर्टिस्ट हूं, मेरे हाथ में कलम है और छोटा मोटा हुनर भी है. समाज के लोगों की दर्दभरी कहानियां हैं. सो रोल कैमरा एंड एक्शन.
दरअसल रिटायर होने के वक्त रमेश थेटे पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक कल्याण विभाग, मध्य प्रदेश शासन में सचिव थे. अपनी नौकरी के आखिरी दिनों में रमेश थेटे ने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और मुख्य सचिव इकाबल सिंह बेंस को पत्र लिखा था, जिसमें उन्होंने बतौर प्रमुख सचिव अपने प्रमोशन की मांग की थी.
दबे कुचले लोगों की दर्दभरी कहानियां कैमरे करेंगे कैद…
रमेश थेटे अब अपना परिचय सोशल एक्टिविस्ट, लिरिसिस्ट, प्रोड्यूसर, डायेरक्टर बताते हैं. उनका कहना है कि वो अब अपनी आर्ट की दुनिया में वापस लौटना चाहते हैं और अपने कैमरे के जरिए दबे कुचले लोगों की दर्दभरी कहानियां कहना चाहते हैं.
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