UP: छोटे उद्योगों के लिए गांवों में खुलेंगे कॉमन फैसिलिटी सेंटर
योजना के तहत पारंपरिक उद्योगों को बढ़ावा दिया जाना है।
प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में परंपरागत उद्योगों से जुड़े कारीगरों के उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ाने, अच्छी पैकेजिंग, मार्केटिंग के साथ ही कच्चा माल मुहैया कराने के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में कॉमन फैसेलिटी सेंटर स्थापित होंगे। खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड के माध्यम से राज्य में “स्फूर्ति” योजना के तहत सीएफसी स्थापित करने की प्रक्रिया शुरू की गई है। इच्छुक संस्थाओं को सीएफसी की स्थापना के लिए जमीन के साथ ही कुल लागत का 10 फीसदी खर्च करना होगा। शेष 90 फीसदी धनराशि सरकार देगी।
सीएफसी स्थापना की जिम्मेदारी गैर सरकारी संस्थाओं, समितियों, सहकारी समितियों, फार्मर्स प्रोड्यूसर्स आर्गनाइजेशन, ट्रस्ट, साझेदारी फर्म, सरकारी अर्द्ध सरकारी विभाग संस्थाएं, पंचायती राज संस्थाएं, प्राइवेट अथवा पब्लिक लि. कंपनी को दी जानी है। व्यक्तिगत लाभार्थी भी सीएफसी की स्थापना कर सकते हैं। संस्थाओं को 90 फीसदी तथा व्यक्तिगत लाभार्थी को 50 फीसदी अनुदान मिलेगा। इस योजना का उद्देश्य परंपरागत उद्योगों, शिल्पियों के समूहों में प्रतिस्पर्धा का विकास, शिल्पियों, कारीगरों और ग्रामीण उद्यमियों को बहु उत्पाद समूहों की स्थापना तथा उत्पाद के विपणन क्षमता को बढ़ाना है। एमएसएमई मंत्रालय भारत सरकार ने इस योजना के क्रियान्वयन के लिए राज्यों में नोडल एजेंसियां तय किया है।
लीज पर भी ली जा सकती है सीएफसी के लिए जमीन-
कॉमन फैसेलिटी सेंटर की स्थापना करने वाली संस्था के पास पर्याप्त भूमि होनी चाहिए। यदि संस्था के पास अपनी भूमि नहीं है तो 15 साल के लीज पर ले सकती है। सीएफसी की स्थापना ग्रामीण क्षेत्रों में ही की जा सकेगी। इन सीएफसी पर कच्चे माल के रखने की व्यवस्था, पैकेजिंग आदि से सबंधित मशीनरी लगेंगे। बताया जाता है कि इस योजना में सीएफसी की स्थापना के लिए अधिकतम पांच करोड़ रुपये की योजना स्वीकृत होगी।
इन पारंपरिक उद्योगों के लिए बनेंगे सीएफसी-
उत्तर प्रदेश खादी ग्रामोद्योग बोर्ड ने स्फूर्ति योजना के तहत 50 से अधिक पारंपरिक उद्योगों को शामिल किया है। इनमें अगरबत्ती, आयुर्वेद, बेकिंग, केन एंड बंबू, खादी, इंब्राइडरी, फूड प्रोसेसिंग तथा हेल्थ ड्रिंक, हाथ से बनाए जाने वाले पेपर व फाइबर, बंबू क्राफ्ट, मस्टर्ड आयल, एक्वा कल्चर, गोल्ड ज्वेलरी, हैंडीक्राफ्ट, स्टील तथा लकड़ी के काम, टेराकोटा, वर्जिन कोकोनट आयल, काष्ठकला, वुलेन, पाट्री, इसेंसियल आयल, चिकनकारी, क्रोचेट, कारपेट, ज्वेलरी कलस्टर, वुलेन खादी कलस्टर, टर्मरिक प्रोसेसिंग, फ्रूट वेजिटेबल प्रोसेसिंग, शहद, हर्बल उत्पाद, होजरी, चमड़े से बनने वाले सामान, टमारिंड प्रोसेसिंग, पोटैटो प्रोसेसिंग, ट्राइबल इंब्रायडरी, जरी जरदोजी, कोकोनट सेल बटन, ब्रासमेंटल, बेल मेटल कलस्टर, ड्रेस मेकिंग कलस्टर, लैक कलस्टर, पाट्री कलस्टर, जूट कलस्टर, रिवर सेल बटन कलस्टर, इंडिगो डाइ, नाटिकल आर्टिफैक्ट, सिल्क, सिल्क खादी, हैंडलूम, ब्रासवेयर तथा होन एंड बोन कलस्टर शामिल हैं।
स्फूर्ति योजना के तहत पारंपरिक उद्योगों को बढ़ावा दिया जाना है। इस योजना के तहत एक जिले में एक से अधिक सीएफसी की स्थापना की जा सकती है। खादी व ग्रामोद्योग से जुड़े छोटे-छोटे उद्यमियों तथा कारीगरों को इस सीएफसी का लाभ मिलेगा।