सतावर की खेती ने बदल दी बुंदेलखंड के किसान की तकदीर, जानें खासियत…
जालौन–वर्षों से सूखे और ओलावृष्टि की मार झेल रहे बुंदेलखंड के किसानों के लिए एक राहत की खबर सामने आई है। अब यहाँ के किसान अपने खेतों में कम लागत में अधिक आमदनी की फसल तैयार कर सकते है।
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ऐसा ही कर दिखाया जालौन के एक युवा किसान ने। जिन्होंने आधुनिक शिक्षा, विज्ञान और टेक्नोलॉजी का सहारा लेकर अपने खेतों में औषधीय फसल की खेती करके अपनी आय को बढ़ा कई गुना लिया है।
बुन्देलखण्ड के जालौन के एक छोटे से गाँव खजुरी में जहां पर एक किसान ने सतावर की खेती कर लाखों रुपये का मुनाफा कमाया है। ये वही सतावर है जो एक औषधीय पौधा होता है और विभिन्न रोगों में काम आने के अलावा इंसान के इम्मियुनिटी पावर को सबसे ज्यादा बढ़ाने में मदद करता है।
इस पौधे की जड़ो का इस्तेमाल कई तरह की दवाओं में किया जाता है। लेकिन सबसे ज्यादा इस्तेमाल इंसान की ताकत को बढ़ाने किया जाता है। सतावर के इस्तेमाल से इंसान के शरीर मे कमजोरी दूर होती है और उसकी शारिरिक क्षमता बढ़ती है। सतावर में एंटीऑक्सिडेंट और ग्लूटाथियोन नामक तत्व होते हैं जो उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा कर देते हैं और साथ ही शरीर की प्रतिरोधक छमता भी बढ़ा देते है। इस कोरोना काल मे इंसान की इम्मियुनिटी पवार को बढ़ाने में सतावर बहुत ही लाभकारी माना जा रहा है।
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सतावर की खेती करने वाले युवा किसान राजदीप सिंह गुर्जर ने बताया कि सतावर की खेती बुन्देलखण्ड के किसानों के लिए बहुत ही लाभप्रद है क्योंकि बुन्देलखण्ड का मौसम इस फसल के बहुत ही अनुकूल है। उन्होंने बताया कि किसान इस फसल को करके एक एकड़ में करीब 10 से 12 लाख रुपये का मुनाफा कमा सकते है। उन्होंने बताया कि इस फसल को एक एकड़ में करने में करीब डेढ़ लाख रुपये की लागत आती है लेकिन किसान को इस एक एकड़ में करीब 13 से 14 लाख रुपये तक की फसल प्राप्त हो सकती है और वह 10 से 12 लाख रुपये की आसानी से इनकम कर सकता है।
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किसान राजदीप गुर्जर ने बताया कि अभी उन्होंने इसकी फसल न करके करीब 3 एकड़ की भूमि में इस सतावर की नर्सरी तैयार की है। जिसमे करीब 45 लाख सतावर के पौधे तैयार हुये है और इसमे करीब 15 से 20 लाख रुपये प्रति एकड़ की लागत आई है लेकिन सतावर के एक पौधे की कीमत 4 रुपये होती। इस हिसाब से करीब डेढ़ करोड़ रुपये से अधिक की सतावर की पौध उनकी नर्सरी में तैयार हो चुकी है और प्रति एकड़ 15 से 20 लाख के खर्चे को निकालने के बाद भी करीब 30 लाख रुपये प्रति एकड़ पर हमको लाभ होगा। और हमे इस 3 एकड़ की नर्सरी में करीब 90 लाख रुपये का लाभ होगा। उन्होंने बताया कि अगर किसान नर्सरी तैयार न करना चाहे। तो वह फसल की तरह भी इसकी खेती कर सकता है और 10 से 12 लाख रुपये प्रति एकड़ का मुनाफा आसानी से कमा सकता है।
(रिपोर्ट-अनुज कौशिक, जालौन)