आलू किसानों की दुर्दशा, लागत निकालना मुश्किल

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फर्रुखाबाद — जिले में इस बार आलू भी किसानों को दगा दे गया। भाव न मिलने से आलू का भाव सुर्ख नहीं हो पा रहा है। ऐसे में किसान आलू बेचने के बाद भी खाली हाथ है। किसानों को लागत निकालने में भी पसीने छुट रहे है। इस हालातों में किसान कर्ज के बोझ तले दबने की ओर बढ़ रहा है।

 

दरअसल किसानो  न तो आलू बिक रहे है और न ही सीड। कोल्ड स्टोरेज से भी किसान अपना आलू नही उठा रहे है । जिस कारण कोल्ड मालिक किसानों को मार पड़ती ही है। इस बार भी आलू किसान अपनी फसल न बिकने से परेशान है।

बता दें कि आलू उत्पादन में उत्तर प्रदेश के फर्रुखाबाद जनपद का देश में विशिष्ट स्थान रहा है। यहां का आलू असम व बंगाल से लेकर मुंबई तक जाता है। जनपद में अधिकांश किसान आलू की फसल करते हैं या यूं कहें कि आलू बोना जनपद के किसानों के लिए मूंछ का सवाल होता है। लड़कों के रिश्ते परिवार में आलू की फसल के क्षेत्रफल के आधार पर तय होते हैं।

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यही कारण है कि जनपद की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से आलू की फसल पर आधारित है। इस बार बंपर पैदावार और अन्य प्रदेशों की मंडियों में मांग न होने के कारण आलू मंदी के दौर से गुजर रहा है। नोटबंदी की मार से पहले ही टूट चुके आलू किसान इस बार गंभीर संकट में हैं। इस बार मुनाफा तो दूर फसल से लागत निकल पाना भी मुश्किल हो रहा है।

गौरतलब है कि नोटबंदी के बाद से अपने जिले में किसानों ने बड़ी ही उम्मीद के साथ आलू की खेती करीब 15 हजार से अधिक हेक्टेयर भूमि पर की। अब जब फसल तैयार हुई और मंडी में पहुंची तो भाव 400 से 500 रुपए के ईद गिर्द घूम रहा है। जबकि खेत में आलू एक बीघा में 10 से 12 कुंतल ही निकल पा रहा है। एक बीघा आलू किसान को तैयार करने में एक बोरी डीएपी 1100 रुपए, पुटाश, जायम सल्फर 250 रुपए, यूरिया आधी बोरी 150, कीटनाशक दवाई 100 रुपए, जुताई व गड़ाई करीब 600 रुपए और खुदाई 700 रुपए प्रति बीघा हुई थी।

 मंडी पहुंचने में एक ट्राली पर करीब 300 रुपए कुंतल का खर्चा आ रहा है। इस हिसाब से आलू किसान पूरी तरह से घाटे में हैं। किसानों का कहना है कि खेत में आलू करने के लिए एक बीघा में सात बोरा बीज डाला जिस पर दो हजार से अधिक का खर्चा आया। पांच सौ रुपए की सिंचाई भी की। इस पर भी भाव नहीं मिल रहा है। खेत में आलू तैयार करने पर करीब 6500 रुपए की प्रतिबीघा लागत आ रही है। किसानों का कहना है कि सरकार कुछ ध्यान दे तभी हालात सुधरें।

रिपोर्ट-दिलीप कटियार,फर्रुखबाद

 

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