दारुल उलूम का फतवाःबैंक में नौकरी करने वालों के घर न करें बेटी का निकाह

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न्यूज डेस्क — देश के प्रमुख इस्लामी शिक्षण संस्थान दारुल उलूम देवबंद ने अपने दो अलग-अलग फतवे जारी किए हैं.इस फतवें में कहा गया कि मुस्लिम लोग अपने बेटे और बेटियों का निकाह बैंक में काम करने वाले घरों में न करें.

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दारुल उलूम की दलील है कि बैंकिंग प्रणाली ब्याज पर आधारित है, जिसे इस्लाम में हराम माना गया है. उलूम की इफ्ता विभाग की वेबसाइट पर एक ऑनलाइन सवाल के जवाब में ये फतवा जारी किया गया है. इस फतवे से अब एक नई बहस छिड़ गई है.

दरअसल एक व्यक्ति ने सवाल पूछा था कि शादी के लिए ऐसे प्रस्ताव आ रहे हैं, जिनके मुखिया बैंक में नौकरी करते हैं. बैंकिंग प्रणाली ब्याज पर आधारित है, जिसे इस्लाम में हराम माना गया है. क्या ऐसे परिवार में शादी की जा सकती है? इस सवाल के जवाब में इफ्ता विभाग ने तीन जनवरी को कहा, “शरीयत में ब्याज पर पैसा लेना और देना दोनों हराम है. इसलिए ऐसे परिवार में निकाह नहीं करना चाहिए.”मुफ्तियों की खंडपीठ ने कहा कि इस तरह के किसी भी परिवार में शादी नहीं करनी चाहिए जो हराम की कमाई कर रहा हो. साथ ही फतवे में सलाह दी गई है कि किसी नेक घराने में रिश्ता तलाशना चाहिए.

बता दें इस्लाम धर्म में कर्ज से आने वाला ब्याज रीबा कहलाता है. शरीयत में ब्याज पर पैसा लेना और देना दोनों को हराम करार दिया गया है. इसके अलावा इस्लामी कानून के मुताबिक, नाजायज समझे जाने वाले कारोबार में निवेश को भी गलत माना गया है. इस्लाम के मुताबिक, धन का अपना कोई स्वाभाविक मूल्य नहीं होता, इसलिए उसे लाभ के लिए  दिया या लिया नहीं जा सकता. यही वजह है कि कई इस्लामिक देशों में ब्याजमुक्त बैंकिंग प्रणाली है.इससे पहले दारुल उलूम ने महिलाओं के पहनावे को लेकर फतवा जारी किया था. दारुल उलूम के मुफ्तियों के मुताबिक मुस्लिम महिलाओं के चुस्त व चमक-दमक वाले बुर्के पहनने को इस्लाम में सख्त गुनाह और नाजायज बताया गया है.

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