‘अपराधियों’ की तरह काम करती है यूपी पुलिस !
न्यूज़ डेस्क– राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के एक बयान का हवाला देते हुए कहा कि ऐसा लगता है 2014 में बलरामपुर पुलिस ने ‘अपराधियों के एक व्यवस्थित समूह’ की तरह ही बर्ताव किया है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने ऐसा बिना किसी अपराध गलत तरीके से जेल में रखने और कस्टडी में बलात्कार करने के एक मामले में कहा है।
एनएचआरसी (राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग) ने कहा, ‘इलाहाबाद हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति एएन मुल्ला की एक बहुत पुरानी टिप्पणी याद आती है, जिसे तकरीबन 50 वर्ष बीत चुके हैं। इस टिप्पणी में हाई कोर्ट ने कहा था कि पूरे देश में एक भी ऐसा अनैतिक समूह नहीं है जिसके अपराधों के रेकॉर्ड कहीं से भी भारतीय पुलिस बल के नाम से पहचानी जाने वाली एक मात्र व्यवस्थित इकाई के पास आते हों। उत्तर प्रदेश में पुलिस बल अपराधियों का एक व्यवस्थित समूह है।’
दरअसल सब -इंस्पेक्टर महेंद्र यादव ने दंपती को 12 अगस्त और 13 अगस्त 2014 को पूछताछ के लिए मथुरा बाजार पुलिस चौकी बुलाया। पुलिस अधिकारी ने लड़के को पुलिस चौकी की दूसरी सेल में रखा और कथित तौर पर लड़की का यौन शोषण किया। इसके बाद जब लड़की ने वरिष्ठ अधिकारियों से मिलकर पूरे मामले की शिकायत की तो ललिया पुलिस स्टेशन में तैनात पुलिसकर्मियों ने लड़के और लड़के पिता पर जबरन कई मुकदमे गढ़ दिए। बलरामपुर एसपी प्रमोद कुमार का कहना है, ‘मुझे इस मामले के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है क्योंकि यह तीन साल पहले हुआ था और उस वक्त मैंने पदभार नहीं संभाला था।’
एनएचआरसी ने सरकार से कहा कि मौद्रिक राहत के रूप में 5 लाख रुपये, 3 लाख रुपये और 1.5 लाख रुपये लड़की, उनके पति, उनके ससुर को देने के बारे में विचार करना चाहिए। इसके साथ ही उनकी ओर से राज्य सरकार को सब-इंस्पेक्टर के खिलाफ चल रही जांच को खत्म कर जरूरी कार्रवाई करने को कहा गया।