बौद्ध भिक्षु भदंत  प्रज्ञानन्द पंचतत्व में विलीन, राजकीय सम्मान से दी गई अंतिम विदाई

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श्रावस्ती — संविधान निर्माता बाबा साहब डॉ भीमराव आंबेडकर को दीक्षा देने वाले बौद्ध भिक्षु भदंत गलगेदर प्रज्ञानन्द रविवार को पंचतत्व में विलीन हो गए। भदंत के प्रिय छह शिष्यों ने उनका विधि-विधान से अंतिम संस्कार किया।इस मौके पर पूरे राजकीय सम्मान के साथ सुरक्षा बल के जवानों ने भिक्षु प्रज्ञानंद को सलामी दी।

इससे पूर्व श्रीलंका के सांस्कृतिक मंत्री, उच्चायुक्त व नेपाल के पार्लियामेंट्री बोर्ड के सदस्य, थाईलैंड, जापान समेत अन्य देशों से आये तमाम बौद्ध अनुयायियों व पीएम नरेंद्र मोदी के प्रतिनिधि के तौर पर आए केंद्रीय समाजिक न्याय मंत्री व कद्दावर दलित नेता रामदास अठावले, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के दूत बनकर आये डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, व उनकी कैबिनेट के मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य, अनुपमा जायसवाल, सांसद दद्दन मिश्र ने चाइना मंदिर में रखे पार्थिव शरीर का अंतिम दर्शन किया। बौद्ध भिक्षु भदंत प्रज्ञानन्द वर्ष 1956 में डॉ आंबेडकर को बौद्ध धर्म की दीक्षा देने वाले एक मात्र जीवित सदस्य थे।

श्रावस्ती में हो दाह संस्कार, भदंत गलगेदर की थी अंतिम इच्छा

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वर्ष 1927 में 18 दिसंबर को जन्मे प्रज्ञानंद भले की श्रीलंकाई मूल के थे, लेकिन उनकी कर्मस्थली भारत रही है। महज 13 साल की आयु में वे वर्ष 1941 में लखनऊ के रिसालदार बुद्ध बिहार के संस्थापक बोधानंद के बुलावे पर वह भारत आए और बौद्ध धर्म की दीक्षा प्राप्त कर ली। इसी के साथ वे भदंत गलगेदर प्रज्ञानंद कहलाये। गलगेदर शब्द उन्होंने जन्मस्थान से जोड़ा था बौद्ध त्रिपटिक का ज्ञान अर्जित कर तप व साधना के लिए श्रावस्ती को तप के लिए अपना ठिकाना बनाया फिर यहीं के होकर रहे गए।

उन्होंने वर्ष 1952 में भदंत बोधनन्द के देहावसान के बाद भारतीय बौद्ध समिति लखनऊ, रिसालदार पार्क बौद्ध विहार और चाइनीज बुद्ध विहार श्रावस्ती के अध्यक्षीय दायित्वों का निर्वाहन किया। 90 वर्ष की अवस्था में बौद्ध भिक्षु भदंत गलगेदर प्रज्ञानंद का बीते 30 नवंबर को परिनिर्वाण हो गया था। उनका पार्थिव शरीर रिसालदार बौद्ध विहार में अंतिम दर्शनार्थ रखा गया था। शनिवार को लखनऊ से भदन्त का पार्थिव शरीर श्रावस्ती लाया गया। भदंत गलगेदर प्रज्ञानंद की अंतिम इच्छा थी मरणोपरांत उनका अंतिम संस्कार बौद्ध तपोस्थली श्रावस्ती में ही किया जाए।

यहां चाइना मंदिर में अंतिम दर्शन के लिए उनका शरीर रखा गया। रविवार को श्रीलंका के सासंद व मंत्री जयविक्रमा परेरा व उच्चायुक्त ने भदंत के अंतिम दर्शन किये। साथ ही श्रीलंका के प्रधान मंत्री व राज्यपाल के द्वारा भेजे गए शोक संदेश को पढ़कर लोगों को सुनाया। नेपाल के सांसद, थाईलैंड, जापान समेत अन्य कई देशों से आये बौद्ध अनुयायियों ने भी अंतिम दर्शन कर शोक संवेदना प्रकट की। पीएम नरेंद्र मोदी के प्रतिनिधि के तौर पर केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले, सांसद दद्दन मिश्र और यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य, कैबिनेट मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य, अनुपमा जायसवाल समेत कई अन्य राजनीतिक व्यक्तियों ने भी भदंत गलगेदर प्रज्ञानंद का अंतिम दर्शन किया और पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।

सभी ने समानता, अहिंसा व भगवान बुद्ध द्वारा बताए गए मार्ग पर चलने की अपील की। अतिंम दर्शन प्रक्रिया पूरी होने के बाद श्रीलंका से भंते वी चंदानंद के नेतृत्व में आई छह सदस्यीय टीम ने भदंत गलगेदर प्रज्ञानंद का दाह संस्कार विधि विधान से किया। दाह संस्कार के लिए विशेष प्रकार की लकड़ियों की व्यवस्था की गई थी। दाह स्थल को मंदिर का रूप प्रदान किया गया था। जहां बौद्ध अनुयाइयों ने नम आंखों से अपने गुरु भदन्त गलगेदर प्रज्ञानंद को श्रद्धांजलि दी और पूरे विश्व में अमन-चैन की कामना की।

रिपोर्ट-अनुराग पाठक,बहराइच

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