कारगिल विजय दिवस विशेषःजब पाक घुसपैठियों पर कहर बनकर टूट पड़े थे शहीद आबिद खान

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हरदोई— “आबिद तुमने नाम किया है, पाली को सम्मान दिया है, जब तक सूरज चांद रहेगा,आबिद तेरा नाम रहेगा”।3 मई 1999 को शुरु हुआ कारगिल विजय ऑपरेशन 26 जुलाई 1999 को समाप्त हुआ।

जिसमें भारतीय सेना के जांबाज लड़ाकों ने घुसपैठियों से लोहा लेते हुए अपनी जांबाजी वीरता की दम पर दिलेराना ढंग से दुश्मनों के सीने को चीरते हुए विजय का जो इतिहास रचा, उसे हम प्रतिवर्ष 26 जुलाई को विजय दिवस के रूप में मनाते हैं। कारगिल के इस महायज्ञ में पाली नगर के भी एक लाल ने अपने प्राणों की आहुति देते हुए 17 पाकिस्तानी दुश्मनों को मौत के घाट सुला दिया था, उनकी शहादत पर आज भी लोगों को फक्र है।

आबिद तुमने नाम किया है,पाली को सम्मान दिया है। जब तक सूरज चाँद रहेगा, आबिद तेरा नाम रहेगा। किसी कवि द्वारा लिखी गई यह चंद पंक्तियां  लांस नायक कारगिल शहीद आबिद खां पर बिल्कुल सटीक बैठती हैं। पाली नगर के काजी सराय मोहल्ला मे  6 मई 1972 को पिता गफ्फार खां,मां नत्थन  बेगम के घर जन्मे आबिद खां बचपन से ही साहसी और वीर थे। सेना में भर्ती होकर राष्ट्र सेवा करना उनकी ख्वाहिश थी।

उनकी यह लालसा 6 फरवरी 1988 को पूरी हो गई। जबलपुर में 22 ग्रिनेडियर में वह भर्ती हो गये। उनकी पहली पोस्टिंग डलहौजी में हुई। सैनिक बनने के 2 साल बाद उनका निकाह फिरसौद बेगम के साथ हुआ। 1995 में आतंकियों से लोहा लेते हुए सुरक्षित अपनी चौकी तक वापस आने के लिए इन्हें सैनिक सम्मान से नवाजा गया। 3 साल बाद 3 मई 1999 को कारगिल विजय ऑपरेशन की शुरुआत हो गई। उस समय आबिद  बकरीद की छुट्टियों पर घर आए थे ।19 दिन परिवार के साथ रहने के बाद हेड क्वार्टर से बुलावा आ गया। 

17 पाकिस्तानी दुश्मनों को उतारा था मौत के घाट…

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और जाते वक्त आबिद ने अपनी पत्नी फिरसौद बेगम से कहा था कि अपना और बच्चों का ख्याल रखना। अगर मैं ना लौट पाऊं तो तुम शहीद की पत्नी बन कर समाज में गर्व से अपना सिर ऊंचा रखना। आबिद द्वारा अपनी पत्नी से कहे गये ये अंतिम शब्द उनके पास उनके लिए किसी धरोहर से कम नहीं है। 30 मई को इनका जत्था कारगिल की चोटी टाइगर हिल की फतेह करने के जज्बे के साथ रवाना हुआ। इनके कई सैनिक साथी शहीद हो चुके थे। एक गोली आबिद  की टांग में लग गई, इसके बावजूद हिम्मत न हारते हुए निरंतर आगे बढ़ते हुए एक वीर योद्धा की दुश्मन सैनिकों पर एक साथ 32 राउंड फायर झोंक दिये ,जिससे 17 पाकिस्तानी सैनिकों की लाशें बिछ गई।

 इसके बाद सनसनाती हुई एक गोली मां भारती के लाल के सीने को चीरती हुई निकल गई। राष्ट्र की रक्षा करते हुए यह जांबाज सैनिक भारत माता के चरणों में 1 जुलाई को शहीद हो गया। उनका पार्थिव शरीर 12 जुलाई को पाली नगर में पहुंचा। शहीद के अंतिम दर्शनों के लिए हजारों की भीड़ का जनसैलाब उमड़ पड़ा।सभी ने नम आंखों से नगर के इस लाल को अंतिम विदाई दी।  आबिद की शहादत पर परिवार समेत पूरे क्षेत्र को नाज है।

शहीद परिवार की पुश्तैनी जमीन पर दबंगों ने किया अवैध कब्जा 

शहीद की की पत्नी फिरसौद  ने पुश्तैनी जमीन को दबंगों के कब्जे से मुक्त कराने का प्रार्थना पत्र जिला अधिकारी को सौंपा था। आपको बताते चलें ,प्रार्थिनी कारगिल विधवा फिरसौद  बेगम पत्नी कारगिल शहीद आबिद खां निवासी मोहल्ला शहीद आबिद नगर कस्बा व थाना पाली तहसील सवायजपुर जिला हरदोई प्राथमिकी भूमि स्थित ग्राम भगवंतपुर अंदर टाउन एरिया परगना पाली तहसील सवाईपुर जिला हरदोई गाटा संख्या 271/0 202,273/0.076 को उत्कर्ष मिश्र पुत्र स्वर्गीय आनंद प्रकाश मिश्रा एडवोकेट निवासी पाली ने जबरदस्ती कब्जा कर रखा है। 

प्रार्थी के ससुर गफ्फार काफी वृद्ध हैं। आने में सक्षम नहीं है और उनकी जमीन के कागज प्रार्थना पत्र के साथ में संलग्न किए गए थ।प्रार्थिनी का देवर कश्मीर बॉर्डर पर तैनात है। जिसने लेटर भेजा है फिर भी उपरोक्त जमीन के संबंध में कोई कार्रवाई नहीं की गई। प्रार्थिनी पर्दा नशी महिला है जोकि कभी भी घर से बाहर नहीं निकलती है। प्रार्थनी इससे पूर्व कई प्रार्थना पत्र दे चुकी है। लेकिन कहीं भी सुनवाई नहीं हुई ।पुलिस प्रशासन ने भी मदद नहीं की।

(रिपोेर्ट-सुनील अर्कवंशी,हरदोई)

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