खतरे में पुलिस वालों की जान !

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फर्रुखाबाद–प्रदेश सरकार यूपी पुलिस के अधिकारियों के द्वारा जहां थानों को अत्याधुनिक सुविधाएं देते हुए हाईटेक किया जा रहा है। अपने पुलिस कर्मी को हर सुविधा मुहैया कर रही है, लेकिन जिन इमारतों में थाने चल रहे है वो जर्जर हो चुकी है । 

इन इमारतों में कर्मचारी जान जोखिम में डालकर काम करने के लिए मजबूर हैं। खस्ता इमारत की छत तले जहां पुलिस कर्मी खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं, वहीं लाखों रुपये का आधुनिक सामान भी महफूज नहीं है। पुलिस कब्जे में लिए वाहनों को रखने के लिए पहले ही बेबस है। उस पर थानों की बारिश दौरान टिपटिप करती छतों तले रिकार्ड व कंप्यूटर आदि साजो सामान को संभालना थानों के मुख्य मुंशियों के लिए टेढ़ी खीर बना हुआ है।क्योकि जिस छत के नीचे बैठकर वह काम कर रहे है वह किसी वक्त गिर सकती है।फिर भी उसके नीचे बैठने के साथ काम भी करना पड़ता है।

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जिले में जर्जर थाने कितने हैः

सदर कोतवाली की दो इमारते बिल्कुल खस्ता हाल में है। वह किसी समय गिर सकती है वही थाना राजेपुर जो अग्रेजो के जमाने का बना हुआ है।उसकी नीव में नोना लग चुका है। थाने में केवल एक दर्जनों लोगों के लिए नया आवास बनाया गया लेकिन बाकी की बैरक में बरसात के समय पानी टपकता है।उन बैरकों में कोई भी रहने को तैयार नही है।थाना नवाबगंज भी लगभग 100 साल पुराना होगा।जनता की सुरक्षा करने वाले पुलिस वाले उसी भवन में रहने को मजबूर है।थाना कमालगंज भी अग्रेजो के हाथों का बनाया हुआ है। पिछले महीने रिपोर्ट तैयार करते समय दरोगा के ऊपर प्लास्टर गिरा था जिससे वह बाल बाल बच गया था।थाना कम्पिल की इमारत भी बहुत पुरानी है।देखना यह होगा कि प्रदेश की सरकार व पुलिस अधिकारी अपने विभाग के लिए क्या करते है।फिलहाल पुलिस कर्मचारियों को उन खस्ताहाल भवनों में काम करते रहे तो एक दिन न एक दिन हादसा होना तय है।

एसपी अनिल कुमार मिश्रा ने बताया कि जिले में जिन थानों के भवन जर्जर है उनको इंजिनियर से चेक कराकर उनको गिरवा दिया जाएगा क्योंकि हर पुलिस कर्मचारी हमारे परिवार का आदमी है।उसी वजह से जल्द से जल्द जर्जर भवनों को बनवाया जायेगा।

(रिपोर्ट-दिलीप कटियार, फर्रूखाबाद)

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