लखनऊः एलडीए वीसी और सचिव के झूठे दावों की पोल खोल रहे हैं ज़ोन-2 के अवैध निर्माण

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लखनऊ–आवासीय भूखण्डों पर व्यवसायिक निर्माणों पर उच्चतम न्यायालय की कड़ी सख्ती के बाद भी लखनऊ विकास प्राधिकरण के ज़ोन दो में हालात लगातार बद से बदतर होते जा रहे हैं । 

पुराने निर्माणों पर कार्यवाही तो दूर की बात है उल्टा नए अवैध निर्माण लगातार जारी हैं । एलडीए अफसरों और इंजीनियरों की भूमाफियाओं और बिल्डरों से मिलीभगत के चलते ज़ोन दो में हज़ारों अवैध निर्माण अब तक हो चुके हैं और पटेल नगर से लेकर तेलीबाग पीजीआई , ट्रांसपोर्ट नगर से लेकर आलमबाग चन्दन नगर , कैलाशपुरी तक , बंगला बाज़ार भदरुख से लेकर आशियाना , एलडीए कॉलोनी कानपुर रोड तक ये अवैध निर्माण क्षेत्रीय अराजकता और अपराध के नए अड्डे के तौर पर विकसित हो रहे हैं । यहाँ तमाम आवासीय भूखण्डों पर बड़े बड़े शो रूम , हॉस्पिटल , स्कूल , होटल , रेस्टॉरेंट , शॉपिंग मॉल आदि बड़े पैमाने पर बन चुके हैं और अब तक बन भी रहे हैं । 

पीजीआई थाने के अंतर्गत तेलीबाग में जावित्री नर्सिंग होम के मालिक द्वारा बनाया गया अवैध निर्माण ध्वस्तीकरण व सीलिंग के आदेश के बाद आज न केवल बनकर तैयार है बल्कि व्यवसायिक रूप से उसका उपयोग भी चालू है ।आशियाना थाने के अंतर्गत तमाम बड़े आवासीय भूखण्डों को व्यवसायिक बना दिया गया। यहाँ आशियाना थाने के अंतर्गत आने वाली अंसल्स की आशियाना कॉलोनी का सेक्टर जे , सेक्टर के , सेक्टर एम और सेक्टर एन हो या फिर विकास प्राधिकरण की बनाई आवासीय योजना के अंतर्गत आने वाली कॉलोनी के सेक्टर आई , सेक्टर एल , सेक्टर जी , सेक्टर एच हों या फिर रजनी खण्ड , रुचि खण्ड , रश्मि खण्ड की कॉलोनी या फिर भदरुख , बंगला बाजार हों ।

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इसी तरह कृष्णा नगर कोतवाली के अंतर्गत आने वाली एलडीए की कॉलोनी का सेक्टर डी , सेक्टर सी , सेक्टर बी , सेक्टर डी – 1 हो या फिर बरिगंवा , हिन्द नगर बदाली खेड़ा इसी तरह सरोजनी नगर के अंतर्गत आने वाली कॉलोनी सेक्टर ई , सेक्टर एफ , सेक्टर एफ विस्तार , सेक्टर ओ व पी औरंगाबाद खालसा , ट्रांसपोर्ट नगर । पीजीआई व आलमबाग कोतवाली के अंतर्गत आने वाली तमाम निज़ी व सरकारी कॉलोनी अवैध निर्माणों का एक बड़ा गढ़ बनकर उभरे हैं। इसमे आशियाना के सेक्टर जे में बना आस्था कृष्णधाम ओयो होटल न केवल बनकर तैयार हुआ है बल्कि तमाम सीलिंग के आदेशों के बाद भी आज व्यवसायिक रूप से इस्तमाल भी हो रहा है ।

इसके अलावा सेक्टर के आशियाना के आवासीय भूखण्ड 712 में मॉडल शॉप का संचालन पुलिस और एलडीए की नाक के नीचे हो रहा है। सेक्टर के ही भूखण्ड संख्या 707 व 706 पर राजलक्ष्मी स्वीट हाउस व बैंक्वेट हॉल अवैध रूप से बनकर चालू है , जबकि इसी के बगल में भूखण्ड संख्या 705 पर भी एक बड़ा व्यवसायिक प्रतिष्ठान बनकर तैयार हो रहा है। इसके अलावा के – 16 पर बने विवेक प्लाजा में संचालित मोतीमहल डीलक्स रेस्टॉरेंट व सुपर मार्केट सहित पूरे सेक्टर के में अनेक अवैध व्यवसायिक निर्माण हो चुके हैं और इन पर कार्यवाही होने की जगह अनेक नए निर्माण अब भी जारी हैं । 

यही हाल सेक्टर जी , सेक्टर एच , सेक्टर एल , सेक्टर डी , सेक्टर डी -1 , सेक्टर एफ , सेक्टर ई , सेक्टर आई का भी है जहाँ अनेक आवासीय भूखण्ड व्यवसायिक शो रूमों , नर्सिंग होम हॉस्पिटल , होटलों , रेस्टॉरेंट , शॉपिंग कॉम्प्लेक्स आदि में बदल गए हैं या बदल रहे हैं । वहीं तमाम क्षेत्रीय नागरिको ने अपना नाम न छापने की शर्त पर बताया कि इन अवैध निर्माणों के चलते उनकी निजता , सुरक्षा और इज़्ज़त पर हमेशा खतरा बना हुआ है क्योंकि निर्माण करने वाले भूमाफिया बिल्डर दबंग और ऊँचे रसूख वाले हैं और स्थानीय एलडीए अधिकारियों और पुलिस में उनकी अच्छी पकड़ है इसकी वजह से कोई भी उनके खिलाफ खुल कर बोलने से बचता है । जबकि घरों से निकलने वाली महिलाएं , बच्चे , बुज़ुर्ग इससे सबसे ज्यादा असुरक्षित हैं ।

यहाँ गौर करने वाली बात ये भी है कि इन तमाम अवैध निर्माणों से नगर निगम व्यवसायिक कर वसूल रहा है। जल संस्थान इनको पानी और सीवर की सुविधा भी व्यवसायिक दर पर देता है । यहाँ तक कि बिजली विभाग भी इन अवैध निर्माणों पर मेहरबान होकर व्यावसायिक कनेक्शन जारी कर देता है । 

इस पर जब एलडीए के सचिव मंगला प्रसाद सिंह से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि जानकारी लखनऊ ब्यूरो के माध्यम से सामने आई है और वो अपने जोनल अधिकारी से इस पर जाँच करवा कर कार्यवाही करने को बोलेंगे और यदि कोई भी आवासीय भूखण्ड का दुरूपयोग करेगा तो उस पर कार्यवाही निश्चित ही होगी । 

इंजीनियरों की मिलीभगत से होते हैं ये अवैध निर्माणः

यहाँ एलडीए के कुछ सूत्रों की माने तो कुछ भ्रष्ट इंजीनियरों द्वारा मानचित्र के विपरीत और मनमाफिक निर्माण करने की एवज में भूमाफियाओं और बिल्डरों से बड़ी मोटी रकम वसूली जाती है और कई बार ये रकम 10 लाख से ऊपर तक भी चली जाती है । बेसमेंट और प्रत्येक मंज़िल के हिसाब से रेट तय होते हैं साथ ही साथ सीलिंग की नौबत आने पर इस रकम में बड़ा इज़ाफ़ा भी हो जाता है । 

(रिपोर्ट-अंशुमान दुबे, लखनऊ)

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