लखनऊःइंस्पेक्टर की मनमानी, चला अदालती चाबुक
लखनऊ –एसीजेएम कोर्ट ने विकास नगर थाने के एक मुकदमे में पुलिस को बड़ा झटका दिया है। फाइनल रिपोर्ट खारिज करते हुए विवेचक गिरीश चंद्र यादव को तलब किया है।
16 अगस्त 2018 को गुडंबा निवासी आरटीआई एक्टिविस्ट हेमंत कुमार मिश्रा ने विकास नगर थाने में आधा दर्जन लोगों के खिलाफ मारपीट असलहा लगाकर जान से मारने की धमकी देने समेत कई धाराओं में मुकदमा पंजीकृत कराया था।
लेकिन तत्कालीन स्पेक्टर रहे वीरेंद्र सोनकर ने पूरे मामले में घोर लापरवाही बरती और विवेचक रहे गिरीश चंद्र यादव के माध्यम से बिना किसी गवाह के बयान लिए। सीसीटीवी कैमरा फुटेज निकलवाने की भी जहमत नहीं उठाई और आनन-फानन में 24 घंटे में ही मुकदमे में फाइनल रिपोर्ट लगा दी।
16 अगस्त 2018 को आरटीआई एक्टिविस्ट हेमंत कुमार मिश्रा ने विकास नगर थाने में राजेंद्र प्रताप सिंह, जितेंद्र यादव, अनिल यादव, सुनील यादव सहित करीब आधा दर्जन लोगों के खिलाफ मारपीट गाड़ी रोककर जान से मारने की धमकी समेत कई धाराओं में मुकदमा पंजीकृत कराया था।
अब जहां कोर्ट ने पुलिस की फाइनल रिपोर्ट को खारिज कर दिया है और दोबारा विवेचना के आदेश दिए हैं। वहीं आरटीआई एक्टिविस्ट हेमंत कुमार मिश्रा को न्याय की उम्मीद जगी है।इस पूरे मामले में तत्कालीन इंस्पेक्टर रहे वीरेंद्र सोनकर की घोर लापरवाही सामने आई है।
आरटीआई एक्टिविस्ट हेमंत कुमार मिश्रा के अनुसार पूरा मामला 16 अगस्त 2018 का है जब हेमंत कुमार मिश्रा एक निजी अस्पताल से अपना इलाज करा कर लौट रहे थे। तभी आधा दर्जन दबंगों ने उनकी गाड़ी रोक कर उन के ऊपर जानलेवा हमला किया और जान से मारने की कोशिश की। उसके बाद विकास नगर थाने में 16 अगस्त 2018 को मुकदमा पंजीकृत कराया था।
विकास नगर थाने में तत्कालीन इंस्पेक्टर वीरेद्र सोनकर और विवेचक गिरीश चंद्र यादव ने पूरे मामले को 24 घंटे में ही रफा दफा कर दिया और फाइनल रिपोर्ट लगाकर न्यायालय में भेज दी ना तो किसी गवाह के बयान लिए गए ना ही सीसीटीवी फुटेज निकलवाने की कोशिश की गई। इसके बाद आरटीआई एक्टिविस्ट हेमंत कुमार मिश्रा ने पूरे मामले को न्यायालय के सामने पेश किया वहीं न्यायालय ने पुलिस की फाइनल रिपोर्ट को खारिज करते हुए विवेचक को तलब किया है।