सीतापुरःतो इस वजह से VVIP हुई धौरहरा संसदीय सीट,10 पहले आई थी वजूद में
सीतापुर — यूपी के सीतापुर जिले से सटी लोकसभा सीट धौरहरा का इतिहास पुराना नहीं है। महज 10 साल पहले बनी इस सीट ने अब तक दो चुनाव ही देखे हैं। एक चुनाव में यहां कांग्रेस जीती तो दूसरे में भाजपा।
2009 के चुनाव में वजूद में आई धौरहरा लोकसभा सीट उस समय के केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद के आने भर से वीआईपी हो गई। शाहजहांपुर से सांसद रहे जितिन प्रसाद ने 2009 में सीतापुर और खीरी जिले की 5 विधानसभा सीटों को मिलाकर तैयार हुई धौरहरा लोकसभा से अपनी किस्मत आजमाई और पहले ही चुनाव में वह जबरदस्त वोटों से जीते। 2014 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी यहां से अपना खाता खोलने में कामयाब रही।
यूपीए सरकार में चार मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाल चुके जितिन प्रसाद की गिनती कांग्रेस के युवा नेताओं में होती है। जितिन प्रसाद के पिता जितेन्द्र प्रसाद प्रधानमंत्री राजीव गांधी, पीवी नरसिम्हा राव (1994) के राजनितिक सलाहकार, राष्ट्रीय कांग्रेस के उपाध्यक्ष रह चुके हैं।
2004 में शाहजहांपुर सीट से पहली बार सांसद बने जितिन 2009 में धौरहरा लोकसभा सीट पर उतर गए। वह यहां से सांसद भी रहे और केंद्र सरकार में मंत्री भी। 2014 की भाजपा की लहर की वजह से जितिन को धौरहरा सीट गंवानी पड़ी थी। सीतापुर जिले के महोली, हरगांव, खीरी जिले की धौरहरा, कस्ता और मोहम्मदी विधानसभा क्षेत्रों में जितिन का सीधा प्रभाव है।
(रिपोर्ट-सुमित बाजपेयी,सीतापुर)