यूपीःदलित व मुस्लिम वोटर मोदी के खिलाफ, BJP को सिर्फ जाटों का सहारा !

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न्यूज डेस्क — सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) अगर पश्चिमी उत्तर प्रदेश से प्राप्त होने वाले नतीजों को लेकर चिंतित है तो इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि उम्मीदवारों के चयन को लेकर पार्टी में इतनी अनिश्चितता पहले कभी नहीं रही।

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बड़ी प्रतीक्षा के बाद 184 नामों की पहली सूची में प्रथम चरण के मतदान वाली महत्वपूर्ण सीट कैराना का उम्मीदवार शामिल नहीं था। दो दिन की ऊहापोह के बाद प्रदीप चौधरी का नाम घोषित किया। निश्चित ही ‘योगी प्रदेश’ का यह गन्ना इलाका अहम भूमिका निभाने वाला है।

मुस्लिम, दलित और जाट बहुल इस क्षेत्र में भाजपा को कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। माना जा रहा है कि सत्तारूढ़ दल को सपा-बसपा गठबंधन की कड़ी चुनौती के कारण तीस से चालीस फीसदी सीटों का नुकसान पश्चिमी उत्तर प्रदेश में उठाना पड़ सकता है।

मेरठ से कैराना का सफर पूरा करने के बाद यही स्थिति उभरती है कि एंटी-इंकम्बेन्सी मोदी के खिलाफ कम और योगी के खिलाफ ज्यादा है। प्रमुख कारण भाजपा के ही नेता बताते हैं कि योगी राज में भ्रष्टाचार पहले के मुकाबले बढ़ गया है। नौकरशाही हावी हो गई है। लोग पुलिस से नाराज हैं। इनका मानना है कि सरकार हिंदू-मुस्लिम को बांटने का काम कर रही है।

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