पुलवामा अटैक: आतंकियों के निशाने पर CRPF ही क्यों ? जानें यहां…

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न्यूज़ डेस्क–जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए फिदायीन हमले में 42 जवान शहीद हो गए। धमाका इतना भीषण था कि कई जवानों के शरीर के अवशेष भी नहीं मिल पाए। 

हालाँकि गौरतलब बात ये है कि आतंकियों ने आर्मी की बजाय CRPF को ही निशाना बनाया। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह ये बताई जा रही है कि आर्मी की गाड़ियों में 4 या 5 से ज्यादा जवान सफर नहीं करते ; जबकि CRPF के वाहन में एक साथ 30-40 जवानों की टोली रवाना होती है। ऐसे में आतंकियों ने भारत को अधिक नुक़साम पहुँचाने की नीयत से सीआरपीएफ जवानों को अपना निशाना बना लिया। 

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दक्षिणी कश्मीर के पुलवामा जिले में सीआरपीएफ के काफिले पर आत्मघाती हमला करने की वारदात को सोची समझी साजिश के तहत अंजाम दिया गया है। इससे घटना वाली जगह का भी चयन किया था, ताकि नुकसान ज्यादा हो। कई दिन बाद जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग के खुलने के बाद सीआरपीएफ का यह काफिला वीरवार तड़के करीब 3:30 बजे जम्मू से रवाना हुआ था। शाम तक उसके श्रीनगर पहुंचने की उम्मीद थी। मगर श्रीनगर से 31 किलोमीटर दूर पुलवामा जिले के लेथपोरा इलाके में आत्मघाती हमलावर ने दोपहर बाद 3:16 बजे काफिले को निशाना बनाया।  सूत्रों के अनुसार करीब 250 किलो से अधिक विस्फोटक से लैस एक एसयूवी लेथपोरा में एक मोड पर थी, वहां से गुजर रहे सीआरपीएफ के वाहनों को निशाना बनाया। तीन गाड़ियां बुरी तरह से इस विस्फोट से प्रभावित हुई जिनमें दो गाड़ियां 54 और 35 बटालियन की थी।

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सूत्रों का कहना है कि यदि गाड़ियां नजदीक होतीं तो 10 से 12 निशाने पर आ सकते थे। अगर घटनाक्रम को गौर से देखा जाए तो जगह का चयन भी ऐसा किया गया था। चढ़ाई पर एक मोड़ था, जहां आतंकियों को पता था कि गाड़ियां वहां धीमी रफ्तार से पास होंगी। इसलिए आत्मघाती हमलावर ने भी उसी जगह को चुना ताकि ज्यादा नुकसान हो सके।

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