सीएम के बाद SC-ST आयोग के अध्यक्ष ने कहा, हनुमान दलित नहीं, आदिवासी थे

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लखनऊ  —  उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जहां दो दिनों पहले भगवान हनुमान को दलित बताया था।

वहीं सीएम के बयान के  दो दिन बाद राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष नंद कुमार साय ने हनुमान जी को आदिवासी करार दिया है। उन्होंने कहा कि आदिवासियों के बीच हनुमान एक गोत्र था और इसलिए वह दलित नहीं थे। 

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नंद कुमार साय ने कहा, ‘आदिवासियों में हनुमान गोत्र होता है। ठीक उसी तरह रीछ और गिद्दा गोत्र भी होता है। यहां तक कि आदिवासी तिग्गा गोत्र भी लिखते हैं। टिग्गा का मतलब होता है वानर या बंदर। यहां कई आदिवासी समुदाय हैं जिनके अलग-अलग गोत्र होते हैं। जब भगवान राम लंका पर हमला करने गए थे तब उनकी वानरों के सेना में दो वानर गरुण और रीछ भी थे। इनमें हनुमान भी शामिल थे। इसलिए वह दलित नहीं थे।’ 

हालांकि सीएम योगी के बयान को लेकर विवाद से पल्ला झाड़ते हुए उन्होंने कहा कि राजनीतिक लोग राजनीतिक रैलियों में भाषण देते हैं। सीएम योगी ने उन्हें किस संदर्भ में हनुमान को दलित कहा है, उनकी परिभाषा स्पष्ट नहीं की जा सकती है। 

गौरतलब है कि बीजेपी के प्रत्याशियों के समर्थन में राज्य में ताबड़तोड़ जनसभाएं कर रहे योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को अलवर के मालाखेड़ा में कहा था, ‘बजरंग बली ऐसे लोकदेवता हैं जो स्वयं वनवासी हैं, गिरवासी हैं दलित हैं वंचित हैं।’ इससे नाराज ब्राह्मण समाज ने नोटिस में कहा है कि हनुमान भगवान हैं। उन्हें वंचित और लोकदेवता बताना न केवल उनका बल्कि लाखों हनुमान भक्तों का अपमान है। वहीं सीएम के इस बयान पर कांग्रेस के पूर्व राज्यसभा सदस्य प्रमोद तिवारी ने भी आपत्ति जताई थी।

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