‘मिलाद-उन-नबी’ आज, इस्लाम में ये है महत्व…

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न्यूज़ डेस्क–पैगंबर हजरत मोहम्मद साहब के जन्म की खुशी में मनाया जाने वाला इस्लामिक त्योहार ईद-ए-मिलाद-उन-नबी आज पूरे देश में मनाया जा रहा है। आज पैगंबर हजरत मोहम्मद का जन्मदिवस है। इस दिन को ईद-ए-मिलाद-उन-नबी या ईद-ए-मिलाद के तौर पर मनाया जाता है। 

पैगम्बर साहब हजरत मुहम्मद सल्ल. का जन्म मक्का शहर में 571 ईसवी को हुआ था। इसी की याद में ईद मिलादुन्नबी का पर्व मनाया जाता है। हजरत मुहम्मद सल्ल. ने ही इस्लाम धर्म की स्‍थापना की है। ये हजरत सल्ल. इस्लाम के आखिरी नबी हैं, इनके बाद अब कायामत तक कोई नबी नहीं आने वाला। मक्का की पहाड़ी की गुफा, जिसे गार-ए-हिराह कहते हैं सल्ल. को वहीं पर अल्लाह ने फरिश्तों के सरदार जिब्राइल अलै. के मार्फत पवित्र संदेश (वही) सुनाया।

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इस्लाम से पहले पूरा अरब सामाजिक और धार्मिक बिगाड़ का शिकार था। लोग तरह-तरह के बूतों की पूजा करते थे। असंख्य कबीले थे, जिनके अलग-अलग नियम और कानून थे। कमजोर और गरीबों पर जुल्म होते थे और औरतों का जीवन सुरक्षित नहीं था।

सल्ल. ने लोगों को एक ईश्वरवाद की शिक्षा दी। अल्लाह की प्रार्थना पर बल दिया, लोगों को पाक-साफ रहने के नियम बताए साथ ही आपने लोगों के जानमाल की सुरक्षा के लिए भी इस्लामिक तरीके लोगों तक पहुंचाएं।

इन्होने अल्लाह के पवित्र संदेश को लोगों को तक पहुंचाया। आपके द्वारा इस पवित्र संदेश के प्रचार के कारण मक्का के तथाकथित धार्मिक और सामाजिक व्यवस्थापकों को यह पसंद नहीं आया और आपको तरह-तरह से परेशान करना शुरू किया, जिसके कारण आपने सन् 622 में अपने अनुयायियों के साथ मक्का से मदीना के लिए कूच किया। इसे ‘हिजरत’ कहा जाता है।

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