1600 KM पैदल चलकर पहुंचे मजदूरों ने नम आंखों से बयां किया दर्द…

11 दिन में 1600 किमी चलकर बहराइच पहुंचे दर्जनों मजदूर, बोले- न आते तो भूखे मर जाते...

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बहराइचः फैक्टी में काम चल ही रहा था कि अचानक मालिक ने आकर मशीन बंद करवाते हुए कहा कि यहां बीमारी बहुत फैल चुकी है। सब कुछ बंद हो गया है। अब आप लोग भी अपने घर जाओ। जब फैक्टी चलेगी तो आप लोगों को पैसे दे दिया जाएगा। जिसका सहारा था उसी ने पहले हाथ खडा कर दिया। workers ने कहा कमरे पर आए तो खाने को कुछ न था।

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मजदूरों ने बयां किया दर्द…

सरकार सप्ताह में एक दिन कही खाने को दे रही थी। इसीलिए हम लोगों ने सोचा कि पैदल ही अपने प्रदेश चलते है। कम से कम अपने घर में मरेंगे लोग पहचानेंगे तो। वहां खाने के लिए अनाज भी नहीं बचा था। वहां से आते न तो हम सब भूखे मर जाते। यह दर्द मुंबई से पैदल चलकर बहराइच पहुंचे दर्जनों मजदूरों का है।

कभी रात न होने वाली मुंबई की नगरी में कोराना वायरस के चलते दिन भी रात के सामान दिखने लगे है। फैक्टियां बंद हो चुकी है। मजदूर (workers ) बेरोजगार हो चुके है। मकान मालिक मजदूरों को अपने प्रदेश जाने को मजबूर कर रहे है। खाने को लाले है और आने को साधन नहीं। ऐसे में मुंबई कमाने गए लोगों के सामने संकट के पहाड खडे हो गए है। मानो मौत सामने खडी हो।

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दिन रात चलकर 11 दिन में पहुंचे बहराइच…

दरअसल श्रावस्ती जिले के रहने वाले दर्जनों मजदूर (workers ) शनिवार सुबह लगभग चार बजे 1600 किमी पैदल चलकर 11 दिन में बहराइच पहुंचे। बहराइच से भी उन्हें 37 किमी चलने के बाद उन्हें अपनी मंजिल मिलेगी। मजदूरों ने बताया कि सबकुछ बंद हो चुका था। जब तक जेब में पैसा था तब तक अनाज लेकर खाया गया। रोजगार सब बंद हो चुके थे। जेब में पैसा भी नही था। खाने को खाना नहीं मिल रहा था।

जिंदा होने के बाद भी मुर्दा होने का एहसास हो रहा था। फिर सब लोगों ने सोचा कि अगर यहां रूकेंगे तो भूखों मर जाएंगे। इससे अच्छा है कि अपने प्रदेश चले। अगर वहां मौत होगी तो सुकुन तो रहेगा कि अपने घर के आसपास दम तोडे है। इसलिए हम लोगों ने पैदल ही अपने गांवों लिए चल दिए। 11 दिन में 16सौ किमी की दूरी तय कर चुके है। अब 37 किमी हम लोगों का गांव बचा है अभी पहुंच जाएंगे।

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(रिपोर्ट- अनुराग पाठक, बहराइच)

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