कानपुर देहात–कानपुर देहात में सन 2005 में इलाकाई लोगो को रोजगार देने के उद्देश्य से एक सुपर मार्केट बनायी गयी। 26 दुकानें और कई बड़े बड़े हाल उस सुपर मार्केट का हिस्सा बने लेकिन अफसोस भ्रष्टाचारी तंत्र की वजह से उन दुकानों का आज तक आवंटन ही नही हुआ।
कानपुर देहात के शिवली इलाके के बस्ती के बीचों बीच जर्जर हालात में खड़ी इमारत भ्रस्टाचारी तंत्र की दास्तान बयान कर रही है। दरअसल 2005 में इलाकाई लोगो को रोजगार देने के उद्देश्य से बाज़ार के बीचों बीच सरकारी जमीन पर सुपर मार्केट का निर्माण कराया गया। इलाकाई लोगो को खुशी हुयी की अब उन्हें दुकाने मिलेंगी ओर वो रोज़गार करेंगे लेकिन ऐसा नही हुआ। इमारत बने आज 15 साल हो गए और इन 15 सालो में दुकानों का आवंटन ही नहीं हुआ। अब इमारत जर्जर हो गयी है और कभी भी गिर सकती है।
उधर अधिशासी अधिकारी महीलाल गौतम भी हैरान हैं कि महज़ 15 साल में सरकारी इमारत जर्जर कैसे हो गयी, जबकि इमारत को कम से कम 50 साल से पहले जर्जर नही होना चाहिए थे।
ज़ाहिर है भ्रष्टाचार के चलते घटिया मटेरियल का उपयोग हुआ जिसके चलते इमारत महज़ 15 साल में खंडर में तब्दील हो गयी। वर्तमान चेयरमैन मुन्नू शुक्ला भी मान रहे है कि इमारत का आवंटन ना होने में ओर इमारत महज़ 15 सालो में जर्जर होने में कार्यदायी संस्था दोषी है। इमारत का बजट 2005 में 32 लाख 28 हज़ार रुपये था लेकिन लापरवाही के चलते सब पानी मे चला गया। इमारत का निरीक्षण कराया गया तो परिणाम ये आया कि इमारत उपयोग लायक नही है जर्जर है और इमारत को गिरा दिया जाए तो ही सही है, वरना बस्ती के बीच बीच खड़ी इमारत कभी भी ढह सकती है और बड़ा हादसा हो सकता है।
(रिपोर्ट-संजय कुमार, कानपुर देहात)